
मैं हूँ एक वर्किंग वुमन
#InternationalWomensDay2022
मैं हूँ एक वर्किंग वुमन
सुबह होते ही सपनों की दुनिया छोड़, शुरू होता है मेरा दिन,
रसोई, बच्चे और घर के कामों में ही वक़्त बीतता चला जाता है।
कभी तो सुकून से अपने बदन को पोंछ लिया करो, ऐसा कहते हुए मेरा टॉवेल अक्सर मुझसे रुठ जाता है।
काम की आपधापी में चायवाला कप भी अकसर आधा ही रह जाता है।
16 श्रंगार के लिये ऐसी फुर्सत कहाँ मुझे, कंघी से भी सिर्फ बाल छुआती हूँ।
जी हाँ, मैं हूँ एक वर्किंग वुमन मैं पैसे कमाती हूँ ।
पल पल बदलती जा रही है दुनिया मगर मेरा वही present, future और past है
कभी share auto की कतार मे खड़ी,कभी पकड़नी डोम्बिवली सीएसटी फास्ट है।
फर्स्ट क्लास का किराया देकर भी रोज ट्रेन में खडे खडे ही आती जाती हूँ।
कामवाली बाई को समय पर आने के लिये भगवान से भी ज्यादा मस्का लगाती हूँ।
मैं वर्किंग वुमन, भागते भागते इस शहर की भीड का हिस्सा बन जाती हूँ।
शाम को पति महोदय बैग सोफे मे रख, बैठ जाते हैं टीवी की ओर
वही हम लोग झट से रसोई के कामों लग जाते है, सब कुछ छोड
बेटी के होमवर्क के साथ किचन मे कढाई भी चलती रह्ती है
सास बहू वाले टीवी सीरियल बैठकर देख सकूँ इतनी फुर्सत कहाँ रह्ती है।
पडोसियों और रिश्तेदारों के हालचाल कभी मिलकर कभी ऑनलाईन ही पा जाती हूँ।
मैं वर्किंग वुमन पैसे कमाने के साथ अपने सारे रिश्ते भी बखूबी निभाती हूँ।
शनिवार इतवार भी लगता है मानो सिर्फ मुँह दिखाकर ही चले जाते हैं
हफ्ते भर के रुके हुए कई काम, फिर भी अधूरे रह जाते हैं।
जब मेरी गुडिया मुझसे स्कूल छोड्ने, या ओफिस ना जाने की जिद करती है,
तब उसे गैरों के भरोसे पालनाघर में छोडते वक़्त आँसू आँख में ही रह जाते हैं।
फिर उदास हो सोचती हूँ आखिर इसी की खुशियों के लिये तो मैं कमाती हूँ,
हाय! मैं कैसी वर्किंग वुमन हूँ, जो अपनी बच्ची की भी ना हो पाती हूँ।
ये माना पढ-लिखकर काम करने का निर्णय भले हमारा है
किंतु थोडी बहुत मदद करके पुरुष अब भी बना बेचारा है।
नारी होती है सहनशील, ये कहकर हमे अच्छा उल्लू बनाया है, – २
MULTI TASKING का तमगा देकर घर और बाहर दोनो का काम टिकाया है।
पतिदेव, तुम्हारी खुशामद करने की ये सब चालाकियाँ बहुत अच्छे से जानती हूँ।
वर्किंग वुमन हूँ जनाब, तुम मानो या न मानो, मैं खुद को होम मिनिस्टर मानती हूँ,
उस वक़्त तुम बहुत याद आती हो माँ, जब कभी मैं थक कर हताश हो जाती हूँ
घर और ऑफिस की जिम्मेदारियों से खुद को अकेले ही लड़ता पाती हूँ ।
घर के साथ साथ न जाने कैसे तुमने हम 4 भाई बहनों को सम्भाला होगा
सच कहूँ, तो डर के मारे अब मैं second chance लेने से भी घबराती हूँ
कामकाजी महिलाओ के साथ गृहणियों का योगदान भी है काबिल ए तारीफ
ये मानते हुए, मैं समस्त नारी जाति के समक्ष शीश झुकाती हूँ।
जीवन के सभी संघर्षो का मुस्कुराकर सामना करते हुए मैं smart women कह्लाती हूँ
इसीलिए मुझे गर्व है इस बात का, कि मैं वर्किंग वुमन की श्रेणी में आती हूँ।
आरती
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