
अवतार
अवतार
राम राजा थे, और
कृष्ण थे, बंधु औ सखा ।
राम ने कर्तव्य पालन किया,
कृष्ण ने गीता कहा।।
राम, सीमा और मर्यादा
निभाते हैं,
कृष्ण, नियमों को ताक पर
रखना भी सिखाते हैं।
एक में, रिश्तों में, राजनीति
नही आती,
दूसरे, राजनीति के लिए
रिश्ते बनाते हैं।
घर दोंनो ने छोड़ा ।।2।।
पर एक षड़यंत्र के कारण,
वन को जाते है,
दूसरे, कूटनीति के तहत,
सागर में ग्राम बसाते है।
राम, कदम कदम पर,
मानवीय मूल्यों को
समझाते है, ।।2।।
कृष्ण, युद्ध टालने,
मानवता बचाने को,
हर संभव प्रयत्न
कराते हैं।
भाई दोनों के क्रोधित है ।।2।।
पर लक्ष्मण, राम की खातिर
मेघनाद की शक्तिबाण सह जाते हैं।
वहीं, बलदाऊ, दुर्योधन के मौत
का दोषी, कृष्ण को बनाते हैं।
अंत में माताएं, राम पर,
ढ़ेरों आशीर्वाद बरसाती है।
गांधारी पर, कृष्ण को,
शाप ही, भेट चढ़ाती है।
पर दोनों ने अलग अलग युगों
का मानव धर्म दिखाया,
समय स्वरूप जीने का,
मार्ग सिखलाया।
फर्क कितना भी हो,
पर दोनों ही पूज्यनीय है,
दोनों ही पालनहार है।।2।।
दोनों ही धर्म शिरोमणि,
दोनों ही अवतार हैं ।
रचयिता- दिनेश कुमार सिंह

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