एक मासूम चेहरा

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meenu yatin

16 Aug 20241 min read

Published in poetry

एक मासूम चेहरा

मासूम है चेहरा उसका
आँखे भी बडी़ मासूम हैं
वो कितनी खूबसूरत है
ये उसको कहाँ मालूम है।
उसकी सादगी ही
उसका सिंगार है
उसकी खामोशी में
भी बडी़ आवाज है
वो चुप रह कर भी
कितना कुछ
कह जाती है
वो चाहती है जिसे,
उस पर ,अपना
हक जताती है।
उसकी ये
अदाएं उसे और
खूबसूरत बनाती हैं।

 

मीनू यतिन

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meenu yatin

16 Aug 20241 min read

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एक मासूम चेहरा

मासूम है चेहरा उसका
आँखे भी बडी़ मासूम हैं
वो कितनी खूबसूरत है
ये उसको कहाँ मालूम है।
उसकी सादगी ही
उसका सिंगार है
उसकी खामोशी में
भी बडी़ आवाज है
वो चुप रह कर भी
कितना कुछ
कह जाती है
वो चाहती है जिसे,
उस पर ,अपना
हक जताती है।
उसकी ये
अदाएं उसे और
खूबसूरत बनाती हैं।

 

मीनू यतिन

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