फिर दोबारा कभी नहीं

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meenu yatin

29 Jul 20241 min read

Published in poetry

फिर दोबारा कभी नहीं

 

बिसरेगा ना जीवन पर्यन्त,
क्षण जब, तेरे कंधे पर
सिर रख  कर
तेरे  सीने से लग कर
नींद आई निश्चिंत

फिर दुबारा कभी नहीं ।

जो सुकून ,जो भाव मिला
मन को जेहन को
भीगा भीगा सा मन
और स्नेहिल नयन

फिर दुबारा कभी नहीं ।

इतना सम्पूर्ण 
इतना समर्पित
अपने आप को पाया
वो नेह- स्नेह,
प्रेम- प्रीत की छाया

फिर दुबारा कभी नहीं ।

फिर कभी न आई नींद वैसी
न मिला कोई सुकून
पलकें भीगीं मगर
खाली खाली नयन
सर्मपण छल गया मन
प्रेम ठग गया जीवन
मन में उतरा शख्स
मन से उतर गया
भरोसा अब  किसी पर

फिर दोबारा कभी नहीं ।

 

मीनू यतिन

 

Photo by Masha Raymers: https://www.pexels.com/photo/woman-wearing-white-top-leaning-on-wooden-wall-2726046/

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meenu yatin

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फिर दोबारा कभी नहीं

 

बिसरेगा ना जीवन पर्यन्त,
क्षण जब, तेरे कंधे पर
सिर रख  कर
तेरे  सीने से लग कर
नींद आई निश्चिंत

फिर दुबारा कभी नहीं ।

जो सुकून ,जो भाव मिला
मन को जेहन को
भीगा भीगा सा मन
और स्नेहिल नयन

फिर दुबारा कभी नहीं ।

इतना सम्पूर्ण 
इतना समर्पित
अपने आप को पाया
वो नेह- स्नेह,
प्रेम- प्रीत की छाया

फिर दुबारा कभी नहीं ।

फिर कभी न आई नींद वैसी
न मिला कोई सुकून
पलकें भीगीं मगर
खाली खाली नयन
सर्मपण छल गया मन
प्रेम ठग गया जीवन
मन में उतरा शख्स
मन से उतर गया
भरोसा अब  किसी पर

फिर दोबारा कभी नहीं ।

 

मीनू यतिन

 

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