चाय की कहानी

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dineshkumar singh

17 Aug 20251 min read

Published in perspectives

#InternationalTeaday

चाय की कहानी

चाय की कहानी चीन से शुरू होती है चीनी किंवदंतियों में  इसके आविष्कार का श्रेय चीन के पौराणिक सम्राट शेन नांग को दिया जाता है। शेन नांग को प्राचीन चीनी कृषि की प्रथाओं, कुदाल, हल, कुल्हाड़ी के आविष्कार, कुओं की खुदाई, बीजों का संरक्षण, साप्ताहिक किसान बाजार, चीनी कैलेंडर आदि सिखाने का श्रेय दिया जाता है। उन्हें लोगों के इलाज के लिए जड़ी-बूटियों और हर्बल दवाओं के उपयोग, नाड़ी माप और अन्य आविष्कारों के बीच एक्यूपंक्चर का भी श्रेय दिया जाता है।  इसलिए सम्राट शेन नांग को  चीन के “दिव्य किसान” के रूप में देखा जाता है।

कहानी कहती है कि 2437 ईसा पूर्व में शेन नांग एक पेड़ के नीचे बैठे थे और उनका नौकर उनके लिए पीने का पानी उबाल रहा था। पास में ही कोई अन्य व्यक्ति कैमेलिया साइनेंसिस के पौधे (झाड़ियों) से चाय की टहनियाँ जला रहा था। चाय की कुछ पत्तियाँ गर्म हवा में, आग से ऊपर उठ गईं और उबलते पानी की बर्तन में जा गिरी। उससे पानी का रंग बदल गया। 

मिथकों के अनुसार वह अपने शरीर पर विभिन्न पौधों के औषधीय गुणों का परीक्षण करने के लिए कई शोध करते थे। इसलिए उनके नौकर ने गलती से बने इस मिश्रण के बारे में उन्हें यह बात बताई तो, एक प्रसिद्ध औषधि वैज्ञानिक होने के नाते, उन्होंने उस मिश्रण को  आजमाने का फैसला किया। उन्हें यह मिश्रण पसंद आया और इसे बाद में चाय का नाम दिया गया।

अपने बाद के प्रयोगों से उन्होंने यह पाया कि यह नुस्खा कुछ सत्तर जड़ी बूटियों के जहरीले प्रभाव के खिलाफ एक औषधि के रूप में कार्य करता है। और इस तरह चाय धीरे-धीरे उनके अनुयायियों के बीच लोकप्रिय हो गया।

मिथक के अनुसार अंततः अपने शरीर पर विभिन्न पौधों के गुणों के अपने शोध के प्रयोग के दौरान, अपने एक परीक्षण में, उन्होंने एक खरपतवार के पीले फूल को खा लिया।इसके जहर से उनकी आंतें फट गईं। कहते है कि अगर उन्हें समय पर चाय दे दिया गया होता, तो शायद वह बच जाते। इस तरह मानवता की भलाई के लिए खोज करते हुए उन्होंने अपना जीवन दे दिया। इसलिए चीन में उन्हें औषधि का देवता भी माना जाता है।

 

दिनेश कुमार सिंह

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चाय की कहानी चीन से शुरू होती है चीनी किंवदंतियों में  इसके आविष्कार का श्रेय चीन के पौराणिक सम्राट शेन नांग को दिया जाता है। शेन नांग को प्राचीन चीनी कृषि की प्रथाओं, कुदाल, हल, कुल्हाड़ी के आविष्कार, कुओं की खुदाई, बीजों का संरक्षण, साप्ताहिक किसान बाजार, चीनी कैलेंडर आदि सिखाने का श्रेय दिया जाता है। उन्हें लोगों के इलाज के लिए जड़ी-बूटियों और हर्बल दवाओं के उपयोग, नाड़ी माप और अन्य आविष्कारों के बीच एक्यूपंक्चर का भी श्रेय दिया जाता है।  इसलिए सम्राट शेन नांग को  चीन के “दिव्य किसान” के रूप में देखा जाता है।

कहानी कहती है कि 2437 ईसा पूर्व में शेन नांग एक पेड़ के नीचे बैठे थे और उनका नौकर उनके लिए पीने का पानी उबाल रहा था। पास में ही कोई अन्य व्यक्ति कैमेलिया साइनेंसिस के पौधे (झाड़ियों) से चाय की टहनियाँ जला रहा था। चाय की कुछ पत्तियाँ गर्म हवा में, आग से ऊपर उठ गईं और उबलते पानी की बर्तन में जा गिरी। उससे पानी का रंग बदल गया। 

मिथकों के अनुसार वह अपने शरीर पर विभिन्न पौधों के औषधीय गुणों का परीक्षण करने के लिए कई शोध करते थे। इसलिए उनके नौकर ने गलती से बने इस मिश्रण के बारे में उन्हें यह बात बताई तो, एक प्रसिद्ध औषधि वैज्ञानिक होने के नाते, उन्होंने उस मिश्रण को  आजमाने का फैसला किया। उन्हें यह मिश्रण पसंद आया और इसे बाद में चाय का नाम दिया गया।

अपने बाद के प्रयोगों से उन्होंने यह पाया कि यह नुस्खा कुछ सत्तर जड़ी बूटियों के जहरीले प्रभाव के खिलाफ एक औषधि के रूप में कार्य करता है। और इस तरह चाय धीरे-धीरे उनके अनुयायियों के बीच लोकप्रिय हो गया।

मिथक के अनुसार अंततः अपने शरीर पर विभिन्न पौधों के गुणों के अपने शोध के प्रयोग के दौरान, अपने एक परीक्षण में, उन्होंने एक खरपतवार के पीले फूल को खा लिया।इसके जहर से उनकी आंतें फट गईं। कहते है कि अगर उन्हें समय पर चाय दे दिया गया होता, तो शायद वह बच जाते। इस तरह मानवता की भलाई के लिए खोज करते हुए उन्होंने अपना जीवन दे दिया। इसलिए चीन में उन्हें औषधि का देवता भी माना जाता है।

 

दिनेश कुमार सिंह

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