वज़ीर की चिट्ठी

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dineshkumar singh

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

वज़ीर की चिट्ठी

वज़ीर की चिट्ठी आई,

खत्म हुई, वो साल भर तक

जो चली लड़ाई ।

 

कौन जीता, कौन हारा

बात यह समझ न आई।

 

वज़ीर की चिट्ठी आई।

 

कानून सारे विफल हुए,

पिज़्ज़ा लंगर खत्म हुए,

टेंट गड़े थे वह उखड़ गए,

पर किसानों के हाथ में

क्या आई?

बात कुछ समझ में ना आई?

 

खेतों की तो बात थी,

नेताओं ने महापंचायत कराई,

किसान उसमें भी मारा गया,

पर नेताओं के पेट्रोल पंपों पर

आंच ना आई,

 

वज़ीर की चिट्ठी आई।

 

 

मिट्टी का रोना था,

मिट्टी की थी यह लड़ाई।

मिट्टी वाला आज भी

मिट्टी में ही है,

और उनका कोई मसीहा

सरकार में, तो कोई विपक्ष में,

राजनीति यहाँ भी घुस आई?

 

वज़ीर की चिट्ठी आई।

 

 

रचयिता- दिनेश कुमार सिंह

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वज़ीर की चिट्ठी

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dineshkumar singh

28 Jul 20241 min read

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वज़ीर की चिट्ठी

वज़ीर की चिट्ठी आई,

खत्म हुई, वो साल भर तक

जो चली लड़ाई ।

 

कौन जीता, कौन हारा

बात यह समझ न आई।

 

वज़ीर की चिट्ठी आई।

 

कानून सारे विफल हुए,

पिज़्ज़ा लंगर खत्म हुए,

टेंट गड़े थे वह उखड़ गए,

पर किसानों के हाथ में

क्या आई?

बात कुछ समझ में ना आई?

 

खेतों की तो बात थी,

नेताओं ने महापंचायत कराई,

किसान उसमें भी मारा गया,

पर नेताओं के पेट्रोल पंपों पर

आंच ना आई,

 

वज़ीर की चिट्ठी आई।

 

 

मिट्टी का रोना था,

मिट्टी की थी यह लड़ाई।

मिट्टी वाला आज भी

मिट्टी में ही है,

और उनका कोई मसीहा

सरकार में, तो कोई विपक्ष में,

राजनीति यहाँ भी घुस आई?

 

वज़ीर की चिट्ठी आई।

 

 

रचयिता- दिनेश कुमार सिंह

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