विचलित मन

Avatar
namrata gupta

29 Jul 20241 min read

Published in poetry

विचलित मन

 

उदास – सा मन, घबराता क्यों है?

पुरानी  यादों में जाकर ठहर जाता क्यों है ?

निकल आ उन यादो के घेरे से

जो बीत चुका  वो अब भी लुभाता क्यों है?

यादों में जाकर देखे तो

बहुत हसीं थी वो ज़िन्दगी

फूलो की पंखुड़ी की तरह

“कमसिन ” सी थी ज़िंदगी

न थी कल की परवाह

न थी आज की चिंता

उमंग से भरे थे हम

खुशियां थी हर जगह

पुराने दिनों में जाकर उलझ जाता क्यों है,

उदास, विचलित मन घबराता क्यों है ?

 

नम्रता गुप्ता

Comments (0)

Please login to share your comments.



विचलित मन

Avatar
namrata gupta

29 Jul 20241 min read

Published in poetry

विचलित मन

 

उदास – सा मन, घबराता क्यों है?

पुरानी  यादों में जाकर ठहर जाता क्यों है ?

निकल आ उन यादो के घेरे से

जो बीत चुका  वो अब भी लुभाता क्यों है?

यादों में जाकर देखे तो

बहुत हसीं थी वो ज़िन्दगी

फूलो की पंखुड़ी की तरह

“कमसिन ” सी थी ज़िंदगी

न थी कल की परवाह

न थी आज की चिंता

उमंग से भरे थे हम

खुशियां थी हर जगह

पुराने दिनों में जाकर उलझ जाता क्यों है,

उदास, विचलित मन घबराता क्यों है ?

 

नम्रता गुप्ता

Comments (0)

Please login to share your comments.