ख्याल

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meenu yatin

29 Jul 20241 min read

Published in poetry

ख्याल

 

ख्याल तो बहुत आते हैं मगर
जेहन में ही रह जाते हैं
उमड़ते- घुमड़ते हैं रह- रह कर
पन्नों पे आने  में कतराते हैं ।

शब्दों की सीमाओं में 
दम घुटता है शायद,
या कलम की नोकं
देख कर डर जाते हैं ।

कौन उन्हें कैसे लेगा
कौन कहाँ कड़ी जोड़े
सहम के मुझमें छुप जाते हैं ।

यूं भी होता है  अक्सर
उठते गिरते खुद ही
चूर चूर हो जाते हैं ।

ख्याल  तो बहुत आते हैं मगर
जेहन में ही रह जाते हैं।।

 

रचयिता – मीनू यतिन

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ख्याल

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meenu yatin

29 Jul 20241 min read

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ख्याल

 

ख्याल तो बहुत आते हैं मगर
जेहन में ही रह जाते हैं
उमड़ते- घुमड़ते हैं रह- रह कर
पन्नों पे आने  में कतराते हैं ।

शब्दों की सीमाओं में 
दम घुटता है शायद,
या कलम की नोकं
देख कर डर जाते हैं ।

कौन उन्हें कैसे लेगा
कौन कहाँ कड़ी जोड़े
सहम के मुझमें छुप जाते हैं ।

यूं भी होता है  अक्सर
उठते गिरते खुद ही
चूर चूर हो जाते हैं ।

ख्याल  तो बहुत आते हैं मगर
जेहन में ही रह जाते हैं।।

 

रचयिता – मीनू यतिन

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