भीगी आंखे

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dineshkumar singh

29 Jul 20241 min read

Published in poetry

भीगी आंखे

भीगी आंखों का पानी
कुछ याद दिलाता है,
बिता हुआ कल
रह रहकर याद आता है।

भीगी आंखों का पानी …

कविता के शब्द, बहुत
गहरे होते है।
अंधेरो को चीरती,
सूरज की किरणों से
सुनहरे होते है।
इसलिए सब कुछ साफ
नजर आता है।
भीगी आंखों का पानी …

मैं जब बोलूंगा तो
बरसात होगी,
आकाश से कम,
आंखों से ज्यादा होगी।
हर शब्द पर, चित पर,
कोई चित्र उभर आता है।
भीगी आंखों का पानी …

 

रचयिता- दिनेश कुमार सिंह

 

Photo source : pexels.com

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dineshkumar singh

29 Jul 20241 min read

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भीगी आंखे

भीगी आंखों का पानी
कुछ याद दिलाता है,
बिता हुआ कल
रह रहकर याद आता है।

भीगी आंखों का पानी …

कविता के शब्द, बहुत
गहरे होते है।
अंधेरो को चीरती,
सूरज की किरणों से
सुनहरे होते है।
इसलिए सब कुछ साफ
नजर आता है।
भीगी आंखों का पानी …

मैं जब बोलूंगा तो
बरसात होगी,
आकाश से कम,
आंखों से ज्यादा होगी।
हर शब्द पर, चित पर,
कोई चित्र उभर आता है।
भीगी आंखों का पानी …

 

रचयिता- दिनेश कुमार सिंह

 

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