ये साल भी जा रहा है …!

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namrata gupta

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

ये साल भी जा रहा है …!

 

ये साल भी जा रहा है,
कुछ यादों को देकर,
नए – नए इरादों को देकर
ये साल भी जा रहा है …!

खुली आँखों से देखते,
ख्वाबों को देकर,
नए साल मे कुछ नया करने की चाहत
ऎसा करे की न हो किसी को अब आहत,
गिले – शिकवे भुलाकर,
सबको गले लगाने की,
कला सीखा रहा है,
ये साल भी जा रहा है…..!

 

रचयिता नम्रता गुप्ता

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28 Jul 20241 min read

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ये साल भी जा रहा है …!

 

ये साल भी जा रहा है,
कुछ यादों को देकर,
नए – नए इरादों को देकर
ये साल भी जा रहा है …!

खुली आँखों से देखते,
ख्वाबों को देकर,
नए साल मे कुछ नया करने की चाहत
ऎसा करे की न हो किसी को अब आहत,
गिले – शिकवे भुलाकर,
सबको गले लगाने की,
कला सीखा रहा है,
ये साल भी जा रहा है…..!

 

रचयिता नम्रता गुप्ता

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