
माँ तो माँ होती है।
माँ तो माँ होती है।
माँ तो माँ होती है,
सीधी बात दिल के पार होती है।
वो कभी अन्नपूर्णा बन,
पेट की अग्नि को शांत करती,
तो कभी सरस्वती बन,
ज्ञान का भंडार बन जाती,
माँ तो माँ होती है।
वो कभी समाज के तौर-तरीके है सिखलाती,
तो कभी नए विचारों को समझती, और उसे अपनाती,
माँ तो माँ होती है।
वो मेरी चुप्पी को ना जाने कैसे समझ जाती,
तो कभी खुद उपहास बन हम सबको हंसाती,
आखिर, माँ तो माँ होती है।
वो कभी भी कुछ नहीं मांगती, जब पूछो, ‘आखिर ऐसा क्यों है?’,
तो मुझे हर दौर पर खुश रहने की सलाह दें जाती,
सच, माँ तो माँ होती है।
दिल की बात सीधे पार होती है।
रचयिता – स्वेता गुप्ता
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