साँसे

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meenu yatin

18 Aug 20241 min read

Published in poetry

साँसे

जीवन का न जाने क्या खेल है
खाली, साँसों और वक्त का तालमेल है

साँसें उधार में मिलती नहीं
वक्त किसी पल थमता नहीं
जीवन किसी के लिए रूकता नहीं

साँसों की गिनती कितनी, पता नहीं
वक्त की रफ्तार पर बस नहीं
जीवन का क्या, आज है कल नहीं

सांसे खत्म, सब खत्म,
जीवन खतम
दुनिया का वहम खत्म।

भर लें घूंट-घूंट ज़िन्दगी
जी लें हर पल
ये वहम है तो
वहम ही सही

तो क्यों न जी लें जी भर के
पूरी कर लें सब ख्वाहिशें

क्यों बाकी रहें हसरतें
ये सासें गिनतियों की मिली हैं
भर लें महसूस करके साँसें

वक्त का क्या!
जानते हो कितना है बचा ?
तो क्यों जाया करें
जी लो न जितना बाकी है
हसँ कर मुस्कुरा कर
खुद पर भी थोड़ा प्यार लुटाकर

जीवन जीने की खातिर है
न कि काटने के लिए
खुशी खुद के हिस्से भी रखना
नहीं सब बाँटने के लिए ।

अपना जीवन तभी तक है
जब तक हम हैं,
प्यार से गुजर जाए गर
तो ये उम्र क्या कम है?

 

मीनू यतिन

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meenu yatin

18 Aug 20241 min read

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साँसे

जीवन का न जाने क्या खेल है
खाली, साँसों और वक्त का तालमेल है

साँसें उधार में मिलती नहीं
वक्त किसी पल थमता नहीं
जीवन किसी के लिए रूकता नहीं

साँसों की गिनती कितनी, पता नहीं
वक्त की रफ्तार पर बस नहीं
जीवन का क्या, आज है कल नहीं

सांसे खत्म, सब खत्म,
जीवन खतम
दुनिया का वहम खत्म।

भर लें घूंट-घूंट ज़िन्दगी
जी लें हर पल
ये वहम है तो
वहम ही सही

तो क्यों न जी लें जी भर के
पूरी कर लें सब ख्वाहिशें

क्यों बाकी रहें हसरतें
ये सासें गिनतियों की मिली हैं
भर लें महसूस करके साँसें

वक्त का क्या!
जानते हो कितना है बचा ?
तो क्यों जाया करें
जी लो न जितना बाकी है
हसँ कर मुस्कुरा कर
खुद पर भी थोड़ा प्यार लुटाकर

जीवन जीने की खातिर है
न कि काटने के लिए
खुशी खुद के हिस्से भी रखना
नहीं सब बाँटने के लिए ।

अपना जीवन तभी तक है
जब तक हम हैं,
प्यार से गुजर जाए गर
तो ये उम्र क्या कम है?

 

मीनू यतिन

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