जिंदगी

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meenu yatin

11 Aug 20241 min read

Published in poetry

जिंदगी

टूटे हुए दिल से
अधूरे ख्वाबों से
छूटे हुए रिश्तों से
अधमरे वादों से
उबरोगे तो जानोगे
जिंदगी के मायने
कि असल से
जिंदगी क्या है !

चुभते हुए सवालों से
बेमतलब के शिकवों से
बेवजह के तानों से
वक्त बेवक्त पनपते तनावों से
निकलोगे तो जानोगे
जिंदगी के मायने
कि असल से
जिंदगी क्या है !

जिंदगी इन सब से ऊपर है
बहुत ऊपर
इतना ऊपर के कुछ भी ,
उसका पूरक नहीं,
एक बार को मिलती है
जी भर के मिलो
कोई कहता है क्या
उसे कभी भी
दिल पे न लो
बेवजह न जाया़ करो
इसको जी भर के जियो
जैसे जैसे हाथों से
छूटती जाती है
इसकी डोर ।
वैसे वैसे मन टटोलता है
कि कस कर पकड़ ले
इसका कोई कोना,
कोई छोर ।
तब समझ आता है
कि असल से जिंदगी क्या है।

 

मीनू यतिन

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meenu yatin

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जिंदगी

टूटे हुए दिल से
अधूरे ख्वाबों से
छूटे हुए रिश्तों से
अधमरे वादों से
उबरोगे तो जानोगे
जिंदगी के मायने
कि असल से
जिंदगी क्या है !

चुभते हुए सवालों से
बेमतलब के शिकवों से
बेवजह के तानों से
वक्त बेवक्त पनपते तनावों से
निकलोगे तो जानोगे
जिंदगी के मायने
कि असल से
जिंदगी क्या है !

जिंदगी इन सब से ऊपर है
बहुत ऊपर
इतना ऊपर के कुछ भी ,
उसका पूरक नहीं,
एक बार को मिलती है
जी भर के मिलो
कोई कहता है क्या
उसे कभी भी
दिल पे न लो
बेवजह न जाया़ करो
इसको जी भर के जियो
जैसे जैसे हाथों से
छूटती जाती है
इसकी डोर ।
वैसे वैसे मन टटोलता है
कि कस कर पकड़ ले
इसका कोई कोना,
कोई छोर ।
तब समझ आता है
कि असल से जिंदगी क्या है।

 

मीनू यतिन

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