खुदा

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meenu yatin

1 Aug 20241 min read

Published in poetry

खुदा

 

ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।
हैं कहाँ लफ्ज मेरे शिद्दत से भरे
वो इनमें जादू जगा रहा है ।

ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।

हूँ जानती ,वो है पास मेरे
अपना एहसास दिला रहा है ।
मैं खेलती हूँ, बच्चों के संग जब
वो उनकी हँसी में, मुस्कुरा रहा है ।

ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।

मेरा वजूद क्या था रेत का जर्रा
वो मुझको इंसा बना रहा है ।
निगाहों से तुम गिरा रहे थे,
वो मुझको ऊपर उठा रहा है ।

ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।

कोई जब न था पास मेरे
मेरे साथ मेरा खुदा रहा है ।
दिल ये, मुश्किलों से घबरा रहा है
वो आकर मुझको बचा रहा है ।

ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।

है उस पर भरोसा मुझको ,
वो ,यकीन मेरा,
मेरा साथ देकर निभारहा है।

ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।

 

मीनू यतिन

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meenu yatin

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ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।
हैं कहाँ लफ्ज मेरे शिद्दत से भरे
वो इनमें जादू जगा रहा है ।

ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।

हूँ जानती ,वो है पास मेरे
अपना एहसास दिला रहा है ।
मैं खेलती हूँ, बच्चों के संग जब
वो उनकी हँसी में, मुस्कुरा रहा है ।

ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।

मेरा वजूद क्या था रेत का जर्रा
वो मुझको इंसा बना रहा है ।
निगाहों से तुम गिरा रहे थे,
वो मुझको ऊपर उठा रहा है ।

ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।

कोई जब न था पास मेरे
मेरे साथ मेरा खुदा रहा है ।
दिल ये, मुश्किलों से घबरा रहा है
वो आकर मुझको बचा रहा है ।

ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।

है उस पर भरोसा मुझको ,
वो ,यकीन मेरा,
मेरा साथ देकर निभारहा है।

ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।

 

मीनू यतिन

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