तुम आना जरूर….

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meenu yatin

16 Aug 20241 min read

Published in poetry

तुम आना जरूर….

अभी जिंदगी शुरू हुई थी
कि मौत से सामना हो गया
मैं भी हैरान हूँ
दिल भी है गमजदा

हँसते रहने वाले को ये
अचानक क्या हो गया
दर्द बेतहाशा था
और तड़प अपनी छुपाता रहा
दर्द में घुलता रहा वो
फिर भी मुस्कुराता रहा
हर एक पल में जीना चाहा

बचे खुचे गिनती के दिन
मिलने का उसने वादा किया था
आखिरी बार जब देखा था
ये मुलाकात ही आखिरी थी
कब ऐसा मैंने सोचा था
था भरोसा जिंदगी और
मौत की जंग वो जीत जाएगा
कहाँ पता था, बिना कहे कुछ
खामोशी ओढे़ चला जाएगा

एक भी दिन होता नहीं जब
याद तुम्हारी न आए
बात हो किसी से और
बात तुम्हारी न आए
जिदंगी की कीमत
करना सिखा गए
जाने अनजाने
रिश्तों में जीवन जगा गए।

काश के लौट आओ उसी
चेहरे में कोई भी रूप लिए ।

काश के उतरो उसी आँगन
में खुशी की धूप लिए।

काश के उन चेहरों पे
सच्ची सी मुसकान लौटे
काश के खो गई थी जो
वो नन्हीं सी जान लौटे।

 

मीनू यतिन

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meenu yatin

16 Aug 20241 min read

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तुम आना जरूर….

अभी जिंदगी शुरू हुई थी
कि मौत से सामना हो गया
मैं भी हैरान हूँ
दिल भी है गमजदा

हँसते रहने वाले को ये
अचानक क्या हो गया
दर्द बेतहाशा था
और तड़प अपनी छुपाता रहा
दर्द में घुलता रहा वो
फिर भी मुस्कुराता रहा
हर एक पल में जीना चाहा

बचे खुचे गिनती के दिन
मिलने का उसने वादा किया था
आखिरी बार जब देखा था
ये मुलाकात ही आखिरी थी
कब ऐसा मैंने सोचा था
था भरोसा जिंदगी और
मौत की जंग वो जीत जाएगा
कहाँ पता था, बिना कहे कुछ
खामोशी ओढे़ चला जाएगा

एक भी दिन होता नहीं जब
याद तुम्हारी न आए
बात हो किसी से और
बात तुम्हारी न आए
जिदंगी की कीमत
करना सिखा गए
जाने अनजाने
रिश्तों में जीवन जगा गए।

काश के लौट आओ उसी
चेहरे में कोई भी रूप लिए ।

काश के उतरो उसी आँगन
में खुशी की धूप लिए।

काश के उन चेहरों पे
सच्ची सी मुसकान लौटे
काश के खो गई थी जो
वो नन्हीं सी जान लौटे।

 

मीनू यतिन

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