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चमन बहार
अंकित जो निहायती आलसी किस्म का प्राणी था, अपने कामचोरी के लिए विख्यात था। उसके घर वाले, उसके दोस्त सारे लोग उसे समझाते- समझाते थक चुके थे। उसकी मासुका रेशमा के साथ ब्रेकअप होने का कारण भी उसका आलसपन ही था।
हुआ ये था कि उसकी मासुका जो कि बचपन की उसकी मित्र थी और फ़िर बाद में दोनों को प्रेम प्रवाह ने अपने आगोश में ले लिया, एक कुशल कूचिपुड़ी नर्तकी थी। अंकित न तो उसे समय देता और दिन-रात अपने बिछावन पर या तो गेम खेलता या फ़िर फिल्म देखा करता या बस सोए रहता। अंतर-राज्यीय नृत्य प्रतियोगिता जो कि उसी के शहर में होने वाली थी, उसमें रेशमा का चयन हुआ था और उसे परफॉर्म करना था। वो काफ़ी उत्साहित थी और चाहती थी कि अंकित भी उसे परफॉर्म करते देखें। पर अंकित के ऊपर नींद ने ऐसा जादू-टोना किया कि उसकी नींद दिन के 12 बजे खुली और तब तक समय बीत चुका था और उसके बाद रेशमा ने उससे कभी बात नहीं की।
इस बात ने उसको झकझोर दिया और उसने अपने जीवन में परिवर्तन लाने की ठान ली। उसने ये महसूस किया कि उसके सारे साथी कहीं न कहीं अच्छे बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कार्य कर रहे थे।
अंकित ने जब शांतचित से अपने पूर्व के ऐसे ही बिताए हुए वर्षों के बारे में सोचा तो मानो उसके पैर से धरती घिसक गई हो। उसे अपने से घृणा-सी होने लगी थी। उसने कुछ हासिल ही नहीं किया था। वह व्यर्थ का जीवन जी रहा था।
ये सब सोच कर उसकी बैचैनी बहुत बढ़ गई। उसने झट से अपने एक बचपन के दोस्त को फोन लगाया और अपनी आपबीती बता कर फूट-फूट कर रोने लगा। उसके दोस्त ने उसकी सारी बात सुनी और समझी। उसने उसे ढाढस देते हुए कहा कि अब भी समय बिता नहीं है। उसने उसे कैट परीक्षा की तैयारी करने का सुझाव दिया और उसने कुछ यूट्यूब चैनल का नाम भी बताया, जिससे तैयारी करने में आसानी हो।
अंकित ने अब पूरे जोश के साथ तैयारी करने की ठानी और उन सारे यूट्यूब चैनल के ढेरों वीडियो देख डाले। लगभग 1-2 सप्ताह में उसने इतने वीडियो देखें कि उसे अब समझ आने लगा था कि परीक्षा की तैयारी कैसे करनी है। उसने सारे किताबों की भी सूची बना ली, जो कैट परीक्षा निकालने के लिए जरूरी था। किताबें आई नहीं थी, इसलिए उसने अब 'टॉपर्स टॉक' भी देखना शुरू किया। उसका आत्मविश्वास चरम सीमा पर था।
वो बस चाहता था कि जैसे ही किताबें उसके हाथ लगे और वो उसमें रम जाए और सफलता के शिखर को छू दे।
अंततः किताबें आ चुकी थी। जब 'डेलिवरी बॉय' ने उसे कॉल किया, वो सो रहा था। जैसे ही उसने सुना कि सर, आपका पार्सल आया है। वह झट से अपने बिस्तर से गिरते-संभलते उठा और गेट की ओर भागा। उसने तुरंत 'डेलिवरी बॉय' को ओटीपी बता कर उससे पार्सल ले लिया, मानो उसे कोई जिन का चिराग़ मिल गया हो।
वो अपने रूम गया और किताबों के पार्सल को पढाई वाले टेबल में रखा और झुक कर उसे प्रणाम किया। दो- चार बार उसने हाथ से पार्सल को छू कर भी प्रणाम किया, मानो वह माँ सरस्वती जी की प्रतिमा को प्रणाम कर रहा हो।
उसके बाद उसने काफी सलीके से पार्सल का कवर निकाला और किताबों को एक- एक करके अदब से निहारने लगा। उसकी आँखें छोटी हो गई थी, क्योंकि वो मुस्कुरा रहा था।
उसने नहा-धो कर ईश्वर को याद करके किताबें पढ़ना शुरू कर दिया। थोड़ी देर पढ़ने के बाद उसे नींद आने लगी थी। पर उसने अपने मन को मना लिया था कि वो झुकेगा नहीं, साला!
जैसे-तैसे उसने एक-आध घंटा पढ़ाई की और उसे इतनी जोर की नींद आई की, उसने थोड़ा अफ़सोस करते हुए दिल को समझाया कि वो उठने के बाद पढ़ेगा। 2-3 घंटे सोने के बाद उसकी नींद खुली तो उसने फिर से पढ़ना शुरू किया। थोड़ी देर में ही उसका मन विचलित हो जाता और उसे नींद आने लगती।
इसी तरह 2-4 सप्ताह उसने मन मसोस कर पढाई की और जब भी उसे नींद आने लगती तो वह यूट्यूब पर 'टॉपर्स टॉक' देखने लगता ताकि लय बना रहे और फ़िर घंटों वही देखता रहता।
अब उसे किताबों से घिन-सी हो गई थी। वो किताबें उसकी मासुका से बदल कर बीवी बनते जा रही थी।
लेकिन वह पीछे हट नहीं सकता था। उसे कुछ कर दिखाना था। पढाई का प्रवाह बनाए रखने के लिए उसने प्रेरणादायक किताबों को पढ़ने का सोचा और उसने एक किताब मँगवा ली।
जो किताब उसने मंगवाई, उसके लिए भी वह बहुत उत्साहित था। उसे समझ आ गया था कि ये किताब ही उसकी सफलता की कुँजी बनेगी।
उसने जो किताब मंगवाई, वो दार्शनिक किस्म की थी। उसने उस किताब को पढ़ना शुरू किया और उस किताब का एक सिद्धांत उसे काफी प्रभावित किया। वह सिद्धांत कहता था कि नदी की धारा के विरुद्ध जाओगे तो वो तुम्हें सिर्फ़ तकलीफ़ ही देगा और तुम धारा के विरुद्ध कब तक चल सकोगे। अंततः वो धारा तुम्हारे दिशा का मुख अपने तरफ़ मोड़ ही लेगी। इसलिए प्रवाह के साथ चलो। जैसा हो रहा है होने दो। अंत मैं तुम पाओगे कि नदी की धारा की प्रवाह तुम्हें समुद्र तक पहुॅंचा ही देगी।
ये पढ़ कर उसका दिमाग़ हिल गया। वह समझ गया था कि वह ख़ुद नदी के प्रवाह के विरुद्ध चल रहा है। वो जबरदस्ती पढ़ाई कर रहा है। जैसा चल रहा है, उसे वैसे ही चलने देना चाहिए। वो थोड़ी देर फिर सोच में पड़ गया। उसने सोचा कि केवल सिद्धांत को पढ़ कर उसे अपने जीवन में लागू करना हितकर नहीं है। उसने उसके पक्ष-विपक्ष पर विचार करना शुरू किया और अंत में इस निष्कर्ष में पहुँचा कि यद्पि नदी की धारा को रोक कर बाँध बनाया जा सकता है और उस रोके गए पानी से कितनों का भला किया जा सकता है। पर बाँध आख़िर कब तक टिकेगी? नदी की धारा उसे भी तोड़ डालेगी। मंजिल तो समुद्र ही है।
उसने उसी वक्त परीक्षा की तैयारी से विदा लेने की ठानी। उसे यह समझ आ गया था कि कैट की तैयारी करके वो मालिक नहीं बल्कि नौकर बनेगा। उसे किसी न किसी के अधीनस्थ होकर काम करना होगा। धीरू भाई अंबानी जिन्होंने इतना बड़ा साम्राज बनाया, उन्होंने तो दसवीं की पढाई जैसे- तैसे की। उन्होंने पढाई से ज्यादा व्यावाहरिक ज्ञान को तरजीह दी।
गौतम अदानी ने भी स्नातक की पढाई को बीच में ही छोड़ डाला, क्योंकि उन्हें भी मालिक बनना था। अंकित ये बातें ख़ुद से करके ख़ुद को समझा रहा था।
अंत में उसे सारी बात समझ आ गई थी। उसने अपने गुरु अर्थात उस किताब को चूमा, जिससे उसने ये ज्ञान प्राप्त की थी और फ़िर चद्दर तान कर सो गया। उसे उसकी सफलता सपनों में साफ-साफ नज़र आने लगी थी।
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