महर्षि कपिल का तीसरा नेत्र
हमारा स्थूल शरीर माँस, मेद और अस्थि से निर्मित है। इसी में प्राण स्थित है। जो इस शरीर को जीवनी शक्ति प्रदान करता है।
हमारा स्थूल शरीर माँस, मेद और अस्थि से निर्मित है। इसी में प्राण स्थित है। जो इस शरीर को जीवनी शक्ति प्रदान करता है।
महर्षि बाल्मीकि ने कहा था-‘सदा प्रिय लगने वाली बातें कहने वाले लोग सुलभ हैं। लेकिन सुनने में अप्रिय किन्तु परिणाम में अच्छी लगने वाली बातें कहने तथा सुनने वाले दोनों दुर्लभ हैं|
गुरु के समान हितैषी अपना कोई नहीं है। गुरु से ही जीवन का कल्याण है। अतः जीवन में गुरु का महत्तम पद है।
by Sadguru Times · Published April 13, 2021 · Last modified June 7, 2021
गुरु साक्षात् परमात्मा का स्वरूप होता है, इसलिए उसके महत्व का तो वर्णन ही नहीं हो सकता है |