उल्टा नाम का ध्यान
वाल्मीकि की रामायण में कथा आती है- रत्नाकर डाकू को नारद जी ने उलटा नाम जपने को कहा। पर उसे जपना नहीं आया। तब नारद जी ने उसको अभ्यास कराया। यह अभ्यास उच्चारण का नहीं था, वरन् स्फोट का था। वह प्रणव का स्फोट ही था। यह आसान नहीं है।
by Sadguru Times · Published June 13, 2021 · Last modified July 22, 2022
वाल्मीकि की रामायण में कथा आती है- रत्नाकर डाकू को नारद जी ने उलटा नाम जपने को कहा। पर उसे जपना नहीं आया। तब नारद जी ने उसको अभ्यास कराया। यह अभ्यास उच्चारण का नहीं था, वरन् स्फोट का था। वह प्रणव का स्फोट ही था। यह आसान नहीं है।
पौराणिकों ने उषाकाल को ब्रह्म बेला कहा, बुद्धिवादियों ने गलती से उसे ही ब्रह्ममुहूर्त कहना चाहा। मुहूर्त क्षण भर का होता है-घंटों-घंटों का नहीं होता। ब्रह्म-बेला ढाई घंटे प्रातः में माना जाता है। प्रातः चार से छह बजे सूर्योदय पूर्व का समय।
by Sadguru Times · Published June 6, 2021 · Last modified January 6, 2023
अजपा से और कोई श्रेष्ठ नहीं हो सकता। अजपा की स्थिति अत्यन्त चिरस्थायी चिरंतन
विद्यमान है।
यह विधि सार्वभौमिक ऊर्जा के क्षय तथा संरक्षण के सिद्धान्त पर आधारित है। हम श्वास लेते हैं।
वैज्ञानिक इसे ऑक्सीजन कहते हैं।
by Sadguru Times · Published June 3, 2021 · Last modified June 8, 2021
देह में चैतन्य का ही एक नाम है मन। सच कहें तो यह हमारी ही स्वप्नावस्था है। चेतन मन, अवचेतन मन, अचेतन मन और अति चेतन मन को क्रमशः बुद्धि, मन, चित्त, अहंकार नाम से हम जानते हैं। ये आत्मा के ही अलग-अलग व्यापार हैं। इनका अलग से अस्तित्व नहीं है।
by Sadguru Times · Published May 26, 2021 · Last modified June 27, 2021
समय गतिशील है। समय के सद्गुरु काल, स्थान, अवस्था, साधक की स्थिति के अनुसार विधियाँ देते हैं। वही महत्त्वपूर्ण होता है।
by Sadguru Times · Published May 22, 2021 · Last modified November 16, 2021
अभी बार-बार हमारे यहाँ खबर आ रही है, बड़ी विषम परिस्थिति में हैं | कोरोना घेर रहा है | देखो हमलोग सोचते नहीं हैं कि क्या करें ?
by Sadguru Times · Published May 17, 2021 · Last modified October 31, 2022
निर्विचार होना ही समाधि है। अपने आत्म तत्त्व रमण करना ही समाधि है। तुम अपने में रमण करो। यही मेरी कामना हैं। अपने स्वांसों के माध्यम से अंतर्यात्रा करो। एक समय आएगा कि श्वास रुक जाएगा फिर तुम उसे उपलब्ध हो जाओगे।
by Sadguru Times · Published May 10, 2021 · Last modified June 27, 2021
प्रेम शब्द न ही स्त्रीलिंग है, न ही पुलि्ंलग है। आत्मा में भी विभेद नहीं किया जा सकता है। जहाँ भेद दृष्टि है_ वहाँ प्रेम नहीं है-वासना है
by Sadguru Times · Published April 14, 2021 · Last modified June 8, 2021
आप हर बार भोग भोगने के चक्कर में चूक जाते हैं | इस बार मन की न सुनकर गुरु की सुन लें | जीवन का रहस्य खुल जायेगा |