पुरुषश्रेष्ठ अर्जुन के प्रश्नों पर भगवान् श्रीकृष्ण का निश्चय मत
हे पुरुषश्रेष्ठ अर्जुन! संन्यास और त्याग, इन दोनों में से पहले त्याग के विषय में तू मेरा निश्चय सुन| क्योंकि त्याग सात्त्विक, राजस और तामस भेद से तीन प्रकार का कहा गया है
हे पुरुषश्रेष्ठ अर्जुन! संन्यास और त्याग, इन दोनों में से पहले त्याग के विषय में तू मेरा निश्चय सुन| क्योंकि त्याग सात्त्विक, राजस और तामस भेद से तीन प्रकार का कहा गया है
गुरु के समान हितैषी अपना कोई नहीं है। गुरु से ही जीवन का कल्याण है। अतः जीवन में गुरु का महत्तम पद है।
by Sadguru Times · Published May 17, 2021 · Last modified October 31, 2022
निर्विचार होना ही समाधि है। अपने आत्म तत्त्व रमण करना ही समाधि है। तुम अपने में रमण करो। यही मेरी कामना हैं। अपने स्वांसों के माध्यम से अंतर्यात्रा करो। एक समय आएगा कि श्वास रुक जाएगा फिर तुम उसे उपलब्ध हो जाओगे।