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टूटी चप्पल

“पता नहीं ये सामने वाला सेठ हफ्ते में 3-4 बार अपनी चप्पल कैसे तोड़ लाता है ?” मंगू मोची बुदबुदाया, नजर सामने की बड़ी किराना दुकान पर बैठे मोटे सेठ पर थी।

खूंखार रास्ता !

जुमैरा गांव से थोड़ी दूर, एक शांत इलाके में, एक महात्मा अपनी कुटिया में अपने एक नौकर के साथ रहते थे। वह शहर और गांव में काफी चर्चित थे।

दुल्हन का दर्द

शादी के बाद विदाई का समय था, नेहा अपनी माँ से मिलने के बाद अपने पिता से लिपट कर रो रही थी। वहाँ मौजूद सब लोगों की आंखें नम थीं ।