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इगो

जरा सी अनबन हुई और दोनों के बीच बातचीत बंद हो गई। वैसे दोनों बराबर पढ़ें-लिखें, दोनों अपनी नौकरी में व्यस्त तो दोनों का इगो भी बराबर।

पाप और पुण्य

‘पाप और पुण्य क्या है?’

‘तुम्हारा तबियत तो ठीक है न वंशिका?’ अंशुमन ने उसके ललाट पर हाथ रख कर पूछा|

एक दिवाली ऐसी भी ….

बिरजू अचानक से बोल पड़ा – “काका , आप तो सबकी चिट्ठियाँ लाते हो न ? आप मेरे माता – पिता की कोई भी चिठ्ठी क्यों नहीं लाते हो कभी? क्या कभी मेरे माता – पिता की चिट्ठी नहीं आएगी?”

भिखारी से व्यापारी

एक भिखारी था ! रेल सफ़र में भीख माँगने के दौरान एक सूट बूट पहने सेठ जी उसे दिखे। उसने सोचा कि यह व्यक्ति बहुत अमीर लगता है, इससे भीख माँगने पर यह मुझे जरूर अच्छे पैसे देगा वह उस सेठ से भीख माँगने लगा।

एक चुस्की चाय की कीमत

“चाचा के यहाँ जाना है!” श्रीमती जी का यह घोषणा होते ही , बच्चे चिड़ियों की तरह चहकने लगे। उन्हें तो बस घर से बाहर निकलने का बहाना चाहिए।