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बारिश की रात

हाथों में हाथ,
चल पड़े थे हम एक दूसरे के साथ,
बारिश की थी वो रात,
कहने आए थे तुम मुझे अपने दिल की बात,

दौड़

ये किस चीज़ की है दौड़ ?
जो हमारे पास नहीं, पहले उसके पीछे दौड़,

ख़ूब हँसो

हँसो मुस्कुराओ, जी खोलकर खिलखिलों,
इतना हँसो, की बैठे-बैठे ही गिर जाओ,

सारथी

जीत भी तुम हो, हार भी तुम,
जो ना मिल सके वो अधूरा ख़्वाब भी तुम,