Tagged: fiction

बड़े सपने देखो तो !

बातों –बातों में उसने अपने परिवार के किसी बड़ी उपलब्धि के बारे में बताया और फिर थोड़ा उदास होकर कहा, “ मैंने अपने छोटे-छोटे सपने तो पूरे कर लिए, पर बड़े सपने बाकी हैं ?”

दादाजी रॉक्स !

“दादाजी ये… दादाजी वो…” की पुकार से डिब्बा गूंज उठा। सोनल की आश्‍चर्य और उम्मीदभरी नज़रें पुस्तकें टटोलते स्मित पर टिक गईं।