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‘माँ, तुम बहुत याद आती हो’ सस्वर पाठ
मेरी कविता “ माँ तुम बहुत याद आती हो” उन सभी लोगों को समर्पित है जिन्होने उम्र के किसी ना किसी पड़ाव मे अपनी माँ को खोया है।
माँ, मेरी जान हो तुम
चमकते हैं जिसमें
मेरी कविता “ माँ तुम बहुत याद आती हो” उन सभी लोगों को समर्पित है जिन्होने उम्र के किसी ना किसी पड़ाव मे अपनी माँ को खोया है।
उदास चाँद,खामोश रात और मैं
तुम्हारी याद ,तुम्हारी बात और मैं
सुबह लिखूँ या शाम लिखूँ
एक गीत तुम्हारे नाम लिखूँ।
अभी जिंदगी शुरू हुई थी
कि मौत से सामना हो गया
बोलती है तो बस
बोलती ही रहती है
वो कब किसकी सुनती है ।
अनछुए एहसास जगा गया कोई
आँखों में ख्वाब सजा गया कोई
उम्र बढ़ी तो इम्तिहां बढ़ा दिए?
देखा ना गया सब्र तो दरमियां बढ़ा दिए?