दादाजी रॉक्स !
“दादाजी ये… दादाजी वो…” की पुकार से डिब्बा गूंज उठा। सोनल की आश्चर्य और उम्मीदभरी नज़रें पुस्तकें टटोलते स्मित पर टिक गईं।
“दादाजी ये… दादाजी वो…” की पुकार से डिब्बा गूंज उठा। सोनल की आश्चर्य और उम्मीदभरी नज़रें पुस्तकें टटोलते स्मित पर टिक गईं।
एक बार एक बूढ़े आदमी ने अफवाह फैलाई कि उसके पड़ोस में रहने वाला नौजवान चोर है।
पीछे से एक ऑटो वाले ने आवाज़ दी: “कहाँ जाएंगी माता जी…?” महिला ने ”नहीं भैय्या” कहा तो ऑटो वाला आगे निकल गया।
“मेरी गुलाबजामुन आज इतनी गुस्से में क्यों है?” अंशुमन ने वंशिका के गाल में हल्का-सा चिटकी काटते हुए पूछा।
“आखिर अकेले क्यों नहीं जा सकती ? क्यों मैं बिना तुम्हारे कहीं नहीं जा सकती? और मैं सहेलियों के साथ ही तो जा रही थी।”
मेरे भगवान ! तेरा बहुत बहुत धन्यवाद। मुझे माफ़ करना, मैं तेरी कृपा को पहचान नहीं पाया।
मैंने उसे बैठने को कहा। उसने मना किया लेकिन फिर, मेरे आग्रह पर बैठा। मैं भी उसके सामने बैठा तो उसने पेड़े का पैकेट मेरे हाथ पर रखा।
‘पाप और पुण्य क्या है?’
‘तुम्हारा तबियत तो ठीक है न वंशिका?’ अंशुमन ने उसके ललाट पर हाथ रख कर पूछा|
“आकाश—-” भावना चीख पड़ती है , “क्या हुआ आपको?”
सज्जन ने मुझे बताया कि उन्होंने ये नियम बना रखा है कि अपना हर काम वो खुद करेंगे। घर में बच्चे हैं, भरा पूरा परिवार है। सब साथ ही रहते हैं। पर अपनी रोज़ की ज़रूरत के लिए वे सिर्फ पत्नी की मदद ही लेते हैं,