जिंदगी के पन्ने (Part-2)

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sweta gupta

17 Aug 20241 min read

Published in poetry

जिंदगी के पन्ने (Part-2)

 

जिंदगी के पन्ने को जब पलट कर देखा,
हर पन्ने पर एक रिश्ता पाया।
कुछ रिश्ते को ना चाहते हुए भी छोड़ना पड़ता है,
जिंदगी को एक नई मोड़ पर लाना पड़ता है। 

मुश्किल हो जाती है परिस्थितियों,
मगर खुद को संभालना पड़ता है।
हर रिश्ते को सीचना और संवारना पड़ता है,
कुछ रिश्ते खुद की खुद से न‌ई पहचान कराते हैं।

कुछ के चले जाने से हम खुद को और मजबूत बना लेते हैं,
जिंदगी वही है, पर रास्ते क‌ई है।
सही गलत कुछ नहीं होता,
बस यही तो हम अनुभव करने आए हैं।

 बस यही सोच हमें आगे बढ़ता रहना है,
हर मुश्किल दौर को आसानी से सुलझाना है।
जिंदगी के पन्ने को जब पलट कर देखा,
हर पन्ने पर एक रिश्ते पाया।

रचयिता - स्वेता गुप्ता

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sweta gupta

17 Aug 20241 min read

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जिंदगी के पन्ने (Part-2)

 

जिंदगी के पन्ने को जब पलट कर देखा,
हर पन्ने पर एक रिश्ता पाया।
कुछ रिश्ते को ना चाहते हुए भी छोड़ना पड़ता है,
जिंदगी को एक नई मोड़ पर लाना पड़ता है। 

मुश्किल हो जाती है परिस्थितियों,
मगर खुद को संभालना पड़ता है।
हर रिश्ते को सीचना और संवारना पड़ता है,
कुछ रिश्ते खुद की खुद से न‌ई पहचान कराते हैं।

कुछ के चले जाने से हम खुद को और मजबूत बना लेते हैं,
जिंदगी वही है, पर रास्ते क‌ई है।
सही गलत कुछ नहीं होता,
बस यही तो हम अनुभव करने आए हैं।

 बस यही सोच हमें आगे बढ़ता रहना है,
हर मुश्किल दौर को आसानी से सुलझाना है।
जिंदगी के पन्ने को जब पलट कर देखा,
हर पन्ने पर एक रिश्ते पाया।

रचयिता - स्वेता गुप्ता

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