रिश्तों में मिठास

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sweta gupta

1 Nov 20241 min read

Published in poetrylatest

दिवाली की बात ही कुछ अलग है ।
ये सिर्फ रोशनी से भरा त्यौहार नहीं ।

परिवार के साथ होने का त्यौहार है,
मन के धूल को मिलकर साफ करें ।

तकिया और गद्दे को धूप में रख,
रिश्तों में नरमाहत लाने का त्यौहार है ।

पुराने बक्सो में बचपन के उन पुराने कपड़े को देखकर यादें ताज़ा करें,
उन पुराने एलबम को देखकर हँसने का त्यौहार है ।

उन पुराने रिश्तों में मीठे की मिठास लाए ।
एक साथ मिलकर बच्चों के साथ रंगोली बनाए,
ये कुछ नई यादों को बनाने का त्यौहार है ।

साथ मिलकार लाइट्स और घर के साथ रिश्तों को सजाने का त्यौहार है ।
दीया से बहार के अँधेरे को दूर करके,
खुदके अंदर रौशनी से भरने का त्यौहार है ।

हर साल परिवार के साथ मुस्कुराए,
दोस्तों - यारों के साथ मनाए ।
दिवाली की तो बात ही कुछ अलग है ।

रचयिता
स्वेता गुप्ता

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रिश्तों में मिठास

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sweta gupta

1 Nov 20241 min read

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दिवाली की बात ही कुछ अलग है ।
ये सिर्फ रोशनी से भरा त्यौहार नहीं ।

परिवार के साथ होने का त्यौहार है,
मन के धूल को मिलकर साफ करें ।

तकिया और गद्दे को धूप में रख,
रिश्तों में नरमाहत लाने का त्यौहार है ।

पुराने बक्सो में बचपन के उन पुराने कपड़े को देखकर यादें ताज़ा करें,
उन पुराने एलबम को देखकर हँसने का त्यौहार है ।

उन पुराने रिश्तों में मीठे की मिठास लाए ।
एक साथ मिलकर बच्चों के साथ रंगोली बनाए,
ये कुछ नई यादों को बनाने का त्यौहार है ।

साथ मिलकार लाइट्स और घर के साथ रिश्तों को सजाने का त्यौहार है ।
दीया से बहार के अँधेरे को दूर करके,
खुदके अंदर रौशनी से भरने का त्यौहार है ।

हर साल परिवार के साथ मुस्कुराए,
दोस्तों - यारों के साथ मनाए ।
दिवाली की तो बात ही कुछ अलग है ।

रचयिता
स्वेता गुप्ता

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