सारथी

Avatar
sweta gupta

20 Feb 20251 min read

Published in poetrylatest

बिन मांगे मिल जाए ,
तो मांग काहे को आए ।

बिन देखन दिख जाए,
तो नयन काहे को चाहे ।

बिन सुनन औरों की,
तू काहे नाही उनको सुन्न जाए ।

बिन सौपान जो बिगड़ जाए,
तो अफ़सोस काहे मनाए ।

बिन अपेक्षा किये बीना,
तू काहे नाही है प्रीत लगाये ।

बिन बोले तू क्यूँ नाही,
अपनी बात गिरधर तक पहुचाए ?

बिन सन्देह किये बिना,
तू काहे नाही आगे कदम बढ़ाये ।

बिन डरे तू कभी तो,
उन पर सब छोड़ आए ।

बिन छुअन तू काहे,
अपने गिरधर पर विश्वास को खो आए ?

वो तेरा भला किये है,
और भला ही करेंगे ।
बस रख विश्वास ।
रख विश्वास ।

स्वेता गुप्ता

Comments (0)

Please login to share your comments.



सारथी

Avatar
sweta gupta

20 Feb 20251 min read

Published in poetrylatest

बिन मांगे मिल जाए ,
तो मांग काहे को आए ।

बिन देखन दिख जाए,
तो नयन काहे को चाहे ।

बिन सुनन औरों की,
तू काहे नाही उनको सुन्न जाए ।

बिन सौपान जो बिगड़ जाए,
तो अफ़सोस काहे मनाए ।

बिन अपेक्षा किये बीना,
तू काहे नाही है प्रीत लगाये ।

बिन बोले तू क्यूँ नाही,
अपनी बात गिरधर तक पहुचाए ?

बिन सन्देह किये बिना,
तू काहे नाही आगे कदम बढ़ाये ।

बिन डरे तू कभी तो,
उन पर सब छोड़ आए ।

बिन छुअन तू काहे,
अपने गिरधर पर विश्वास को खो आए ?

वो तेरा भला किये है,
और भला ही करेंगे ।
बस रख विश्वास ।
रख विश्वास ।

स्वेता गुप्ता

Comments (0)

Please login to share your comments.