बंद मुठ्ठी

Avatar
sweta gupta

30 Jan 20251 min read

Published in poetrylatest

बंद मुठ्ठी में बंधे, कई पुराने पल,
कुछ मीठे, कुछ खट्ठे यादों के पल ।

कुछ दिल को, कुछ रूह को छू जाने वाले पल,
इस बंद मुठ्ठी में छुपे कई पुराने पल ।

जाने कितने बरसों से भर रखें है वो सारे पल,
इस बंद मुठ्ठी में क्यों भरते जा रहे हो और ऐसे पल?

बरसों से चली आ रही है ये क्रिया,
उस बोझ से अब थक चुकी है ये बंद मुठ्ठी ।

चीख़-चीख़ कर कह रही है अब मुझसे,
छोड़ दो ये सारी रंजिशें अब दिल से ।

कर दो अब विदा जो कभी था बहुत खास,
क्योंकि कुदरत नहीं चाहती थी कि वो हो आपके पास ।

आज़माना मेरी ये एक बात ...
बंद मुठी हमेशा रहती अपने ही साथ ।

नहीं होता उसके कोई साथ,
खुल जाओ तुम अंदर से,
मुठी खुलेगी, तभी थामेगा कोई तुम्हारा हाथ ।

तभ लोग आएंगे आपके साथ,
नहीं रहोगे तभ तुम पुरानी यादों के साथ,
खोल दो अब बंद मुठ्ठी ।

कर दो खुदको अब आज़ाद,
बस खोल दो ये बंद मुठ्ठी ।
खोल दो ये बंद मुठ्ठी ।

स्वेता गुप्ता

Comments (0)

Please login to share your comments.



बंद मुठ्ठी

Avatar
sweta gupta

30 Jan 20251 min read

Published in poetrylatest

बंद मुठ्ठी में बंधे, कई पुराने पल,
कुछ मीठे, कुछ खट्ठे यादों के पल ।

कुछ दिल को, कुछ रूह को छू जाने वाले पल,
इस बंद मुठ्ठी में छुपे कई पुराने पल ।

जाने कितने बरसों से भर रखें है वो सारे पल,
इस बंद मुठ्ठी में क्यों भरते जा रहे हो और ऐसे पल?

बरसों से चली आ रही है ये क्रिया,
उस बोझ से अब थक चुकी है ये बंद मुठ्ठी ।

चीख़-चीख़ कर कह रही है अब मुझसे,
छोड़ दो ये सारी रंजिशें अब दिल से ।

कर दो अब विदा जो कभी था बहुत खास,
क्योंकि कुदरत नहीं चाहती थी कि वो हो आपके पास ।

आज़माना मेरी ये एक बात ...
बंद मुठी हमेशा रहती अपने ही साथ ।

नहीं होता उसके कोई साथ,
खुल जाओ तुम अंदर से,
मुठी खुलेगी, तभी थामेगा कोई तुम्हारा हाथ ।

तभ लोग आएंगे आपके साथ,
नहीं रहोगे तभ तुम पुरानी यादों के साथ,
खोल दो अब बंद मुठ्ठी ।

कर दो खुदको अब आज़ाद,
बस खोल दो ये बंद मुठ्ठी ।
खोल दो ये बंद मुठ्ठी ।

स्वेता गुप्ता

Comments (0)

Please login to share your comments.