खूंखार रास्ता !

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धनेश परमार

23 Jul 20245 min read

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खूंखार रास्ता !

जुमैरा गांव से थोड़ी दूर, एक शांत इलाके में, एक महात्मा अपनी कुटिया में अपने एक नौकर के साथ रहते थे। वह शहर और गांव में काफी चर्चित थे। दूर शहर और गांव से लोग उनके पास अपनी समस्या लेकर आते, और वे खुशी खुशी लोगों की समस्या का हल करते थे।

एक दिन कुछ ऐसा ही हुआ, दूर शहर से दो हट्टे कट्टे नौजवान उनके पास अपनी समस्या लेकर आए। महात्मा ने देखा वो काफी मायूस दिख रहे थे। महात्मा ने आदर से अंदर आने को कहा, और चारपाई पर बैठकर उनकी समस्या सुनी।

पहला नौजवान बोला – “महात्मा जी, हमने सुना है आप हर समस्या का समाधान जानते हैं। जो कोई भी आपके पास अपनी समस्या लेकर आता है, वह खाली हाथ नहीं जाता। हम भी आपसे कुछ ऐसी ही उम्मीद लेकर आये हैं।”

“तुम निचिंत होकर मुझे अपनी समस्या बताओ,” महात्मा विनम्रता से बोले।

“महात्मा जी..” दूसरा नौजवान बोला – “बात ऐसी है, हम लोग इस शहर में नए आए हैं। जहां हमारा घर है, वहाँ के इलाके में बहुत दहशत का माहौल है। वहाँ आवारा लोगों का बसेरा है। सड़कों पर गुज़रते हुए लोगों से बदतमीज़ी की जाती है, आते जाते लोगों को गालियाँ दी जाती है। कुछ दबंग लोग शराब पीकर सड़क किनारे खड़े हो जाते हैं और सामने से गुज़रते हुए लोगों के साथ बदसुलूकी करते हैं।

वो ना सिर्फ उन्हें गालियाँ देते हैं, बल्कि नशे में उनके साथ हाथापाई तक पर उतर आते हैं।

पहला नौजवान बोला, “हम परेशान हो गए, भला ऐसे समाज में कौन रहना चाहेगा, आप ही बताएं ?

दोनों नौजवान की बात सुनकर महात्मा जी चारपाई से उठे, और यह बडबडाते हुए “यह समस्या बहुत गंभीर है,” कुटिया के बाहर चल दिए। नौजवान ने बाहर जाकर देखा, वो शांत खड़े अपने कुटिया के सामने वाली सड़क को देख रहे थे।

अगले ही पल वो मुड़कर दोनों नौजवानों से बोले, “बेटा एक काम करोगे,” महात्मा दूर इशारा करते हुए बोले, “ये सड़क देखो..जहां ये सड़क मुड़ती है, वही सामने एक नीम का बड़ा पेड़ है, ज़रा मेरे लिए वहाँ से कुछ नीम के पत्ते तोड़ लाओगे।”

“ज़रूर महात्मा जी, जैसा आप कहे,” कहकर दोनों नौजवान ने कदम बढ़ा दिए, परंतु महात्मा उन्हें रोकते हुए बोले, “ठहरो बेटा….जाने से पहले मैं तुम्हें बता दूँ, रास्ते में कई आवारा कुत्ते हैं, जो तुम्हें अपना शिकार बना सकते हैं, वो बहुत खूंखार हैं, तुम्हारी जान भी जा सकती है, क्या तुम वो पत्ते ला पाओगे ?”

नौजवानों ने एक दूसरे को देखा, और उनके चेहरे के हाव भाव देखकर महात्मा समझ गए कि वे डरे हुए तो थे, परंतु वहाँ जाने के लिए तैयार थे। दोनों नौजवान उस सड़क पर चल दिए, वो सड़क पर से गुज़रे। रास्ते में उन्हें काफी आवारा कुत्ते सड़क किनारे बैठे मिले।

उन्होंने कोशिश कि वो उन्हें पार कर जाएं, परंतु यह करना आसान नहीं था। जैसे ही वो एक कुत्ते के करीब से गुज़रे, कुत्ते ने उन्हें काट खाने वाली भूखी निगाहों से घूरा। वो कोशिश करते उन्हें पार करने की, परंतु यह करना जान जोखिम में डालने के बराबर था।

काफी देर इंतज़ार करने के बाद जब वे लौटे तब महात्मा ने देखा, उनके हाथ खाली थे, और वो काफी डरे हुए थे।

वो महात्मा के करीब आए और बोले – “हमें माफ़ कर दीजिए,” पहला नौजवान बोला, “ये रास्ता बहुत खतरनाक है, रास्ते में बहुत खूंखार कुत्ते थे, हम ये काम नहीं कर पाए।”

दूसरा नौजवान बोला, “हमने दो चार कुत्तों को झेल लिया परंतु आगे जाने पर कुत्तों ने हम पर हमला कर दिया, हम जैसे तैसे करके अपनी जान बचाकर वापिस आए हैं।”

महात्मा बिना कुछ बोले कुटिया के अंदर चलते गए, और अपने नौकर को साथ लेकर बाहर आए। उन्होंने नौकर से वो पत्ते तोड़ने के लिए कहा। नौकर उसी सड़क से गया। वह कुत्तों के बीच से गुज़रा। परंतु जब काफी देर बाद, दोनों नौजवानों ने नौकर को सड़क से वापिस अपनी ओर आते देखा, तब देखा उसके हाथ नीम के पत्तों से भरे थे।

ये देखकर दोनों नौजवान भौचक्के रह गए। महात्मा बोले, “बेटा ये मेरा नौकर है, ये अँधा है… हालांकि ये देख नहीं सकता, परंतु कौन सी चीज़ कहाँ पर है, इसे पूरा ज्ञान है। ये रोज़ मुझे नीम के पत्ते लाकर देता है.. और जानते हो क्यों इसे आवारा कुत्ते नहीं काटते, क्योंकि ये उनकी तरफ ज़रा भी ध्यान नहीं देता। ये सिर्फ अपने काम से काम रखता है।”

महात्मा आगे बोले, “जीवन में एक बात हमेशा याद रखना बेटा, जिस फ़िज़ूल की चीज़ पर तुम सबसे ज्यादा ध्यान दोगे, वह चीज़ तुम्हें उतनी ही काटेगी। इसलिए अच्छा होगा, तुम अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर रखो।

ये सुनकर दोनों नौजवान महात्मा के आगे नतमस्तक हो गए। अब उन्हें एक सीख मिली थी, जिसे वो जीवन भर याद रखने वाले थे।

 

*** दोस्तों, इन दो नौजवानों की तरह हम भी अपने जीवन में कुछ ऐसा ही अनुभव करते हैं। हमारा जीवन भी खूंखार मोड़ो से भरा होता है। न जाने कौन से मोड़ पर मौत हमें गले लगा ले। परंतु यह सिर्फ हम पर निर्भर करता है कि, हम उन नौजवानों की तरफ डर कर वापिस लौट आते है या फिर नौकर की तरह धैर्य और हिम्मत से आगे कदम बढाते हैं, और अपना लक्ष्य हासिल करते हैं। ***

 

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जुमैरा गांव से थोड़ी दूर, एक शांत इलाके में, एक महात्मा अपनी कुटिया में अपने एक नौकर के साथ रहते थे। वह शहर और गांव में काफी चर्चित थे। दूर शहर और गांव से लोग उनके पास अपनी समस्या लेकर आते, और वे खुशी खुशी लोगों की समस्या का हल करते थे।

एक दिन कुछ ऐसा ही हुआ, दूर शहर से दो हट्टे कट्टे नौजवान उनके पास अपनी समस्या लेकर आए। महात्मा ने देखा वो काफी मायूस दिख रहे थे। महात्मा ने आदर से अंदर आने को कहा, और चारपाई पर बैठकर उनकी समस्या सुनी।

पहला नौजवान बोला – “महात्मा जी, हमने सुना है आप हर समस्या का समाधान जानते हैं। जो कोई भी आपके पास अपनी समस्या लेकर आता है, वह खाली हाथ नहीं जाता। हम भी आपसे कुछ ऐसी ही उम्मीद लेकर आये हैं।”

“तुम निचिंत होकर मुझे अपनी समस्या बताओ,” महात्मा विनम्रता से बोले।

“महात्मा जी..” दूसरा नौजवान बोला – “बात ऐसी है, हम लोग इस शहर में नए आए हैं। जहां हमारा घर है, वहाँ के इलाके में बहुत दहशत का माहौल है। वहाँ आवारा लोगों का बसेरा है। सड़कों पर गुज़रते हुए लोगों से बदतमीज़ी की जाती है, आते जाते लोगों को गालियाँ दी जाती है। कुछ दबंग लोग शराब पीकर सड़क किनारे खड़े हो जाते हैं और सामने से गुज़रते हुए लोगों के साथ बदसुलूकी करते हैं।

वो ना सिर्फ उन्हें गालियाँ देते हैं, बल्कि नशे में उनके साथ हाथापाई तक पर उतर आते हैं।

पहला नौजवान बोला, “हम परेशान हो गए, भला ऐसे समाज में कौन रहना चाहेगा, आप ही बताएं ?

दोनों नौजवान की बात सुनकर महात्मा जी चारपाई से उठे, और यह बडबडाते हुए “यह समस्या बहुत गंभीर है,” कुटिया के बाहर चल दिए। नौजवान ने बाहर जाकर देखा, वो शांत खड़े अपने कुटिया के सामने वाली सड़क को देख रहे थे।

अगले ही पल वो मुड़कर दोनों नौजवानों से बोले, “बेटा एक काम करोगे,” महात्मा दूर इशारा करते हुए बोले, “ये सड़क देखो..जहां ये सड़क मुड़ती है, वही सामने एक नीम का बड़ा पेड़ है, ज़रा मेरे लिए वहाँ से कुछ नीम के पत्ते तोड़ लाओगे।”

“ज़रूर महात्मा जी, जैसा आप कहे,” कहकर दोनों नौजवान ने कदम बढ़ा दिए, परंतु महात्मा उन्हें रोकते हुए बोले, “ठहरो बेटा….जाने से पहले मैं तुम्हें बता दूँ, रास्ते में कई आवारा कुत्ते हैं, जो तुम्हें अपना शिकार बना सकते हैं, वो बहुत खूंखार हैं, तुम्हारी जान भी जा सकती है, क्या तुम वो पत्ते ला पाओगे ?”

नौजवानों ने एक दूसरे को देखा, और उनके चेहरे के हाव भाव देखकर महात्मा समझ गए कि वे डरे हुए तो थे, परंतु वहाँ जाने के लिए तैयार थे। दोनों नौजवान उस सड़क पर चल दिए, वो सड़क पर से गुज़रे। रास्ते में उन्हें काफी आवारा कुत्ते सड़क किनारे बैठे मिले।

उन्होंने कोशिश कि वो उन्हें पार कर जाएं, परंतु यह करना आसान नहीं था। जैसे ही वो एक कुत्ते के करीब से गुज़रे, कुत्ते ने उन्हें काट खाने वाली भूखी निगाहों से घूरा। वो कोशिश करते उन्हें पार करने की, परंतु यह करना जान जोखिम में डालने के बराबर था।

काफी देर इंतज़ार करने के बाद जब वे लौटे तब महात्मा ने देखा, उनके हाथ खाली थे, और वो काफी डरे हुए थे।

वो महात्मा के करीब आए और बोले – “हमें माफ़ कर दीजिए,” पहला नौजवान बोला, “ये रास्ता बहुत खतरनाक है, रास्ते में बहुत खूंखार कुत्ते थे, हम ये काम नहीं कर पाए।”

दूसरा नौजवान बोला, “हमने दो चार कुत्तों को झेल लिया परंतु आगे जाने पर कुत्तों ने हम पर हमला कर दिया, हम जैसे तैसे करके अपनी जान बचाकर वापिस आए हैं।”

महात्मा बिना कुछ बोले कुटिया के अंदर चलते गए, और अपने नौकर को साथ लेकर बाहर आए। उन्होंने नौकर से वो पत्ते तोड़ने के लिए कहा। नौकर उसी सड़क से गया। वह कुत्तों के बीच से गुज़रा। परंतु जब काफी देर बाद, दोनों नौजवानों ने नौकर को सड़क से वापिस अपनी ओर आते देखा, तब देखा उसके हाथ नीम के पत्तों से भरे थे।

ये देखकर दोनों नौजवान भौचक्के रह गए। महात्मा बोले, “बेटा ये मेरा नौकर है, ये अँधा है… हालांकि ये देख नहीं सकता, परंतु कौन सी चीज़ कहाँ पर है, इसे पूरा ज्ञान है। ये रोज़ मुझे नीम के पत्ते लाकर देता है.. और जानते हो क्यों इसे आवारा कुत्ते नहीं काटते, क्योंकि ये उनकी तरफ ज़रा भी ध्यान नहीं देता। ये सिर्फ अपने काम से काम रखता है।”

महात्मा आगे बोले, “जीवन में एक बात हमेशा याद रखना बेटा, जिस फ़िज़ूल की चीज़ पर तुम सबसे ज्यादा ध्यान दोगे, वह चीज़ तुम्हें उतनी ही काटेगी। इसलिए अच्छा होगा, तुम अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर रखो।

ये सुनकर दोनों नौजवान महात्मा के आगे नतमस्तक हो गए। अब उन्हें एक सीख मिली थी, जिसे वो जीवन भर याद रखने वाले थे।

 

*** दोस्तों, इन दो नौजवानों की तरह हम भी अपने जीवन में कुछ ऐसा ही अनुभव करते हैं। हमारा जीवन भी खूंखार मोड़ो से भरा होता है। न जाने कौन से मोड़ पर मौत हमें गले लगा ले। परंतु यह सिर्फ हम पर निर्भर करता है कि, हम उन नौजवानों की तरफ डर कर वापिस लौट आते है या फिर नौकर की तरह धैर्य और हिम्मत से आगे कदम बढाते हैं, और अपना लक्ष्य हासिल करते हैं। ***

 

धनेश रा. परमार

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