मुखौटे

Avatar
aparna ghosh

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

मुखौटे

मुखौटों से चेहरे छुपाए चलें हैं,

खुद को कैसे भुलाए चलें हैं,

नहीं याद पड़ता किरदार क्या था,

मुखौटों से महफिल सजाए चलें हैं,

 

वफ़ा है इतनी मुखौटों से अब तो,

बेवफाई अपनी यूँ छुपाए चलें हैं,

मुश्तैद हैं, झट बदल लेते हैं खुद को,

पहचान खुद की झुठलाए चलें हैं

 

आंखों के आँसू अब दिखते नही है,

मुखौटे हर शाम गुदगुदाए चलें है,

सच की अब और दरकार क्या है,

मुखौटे नए किस्से सुनाए चलें हैं

 

अदब बदलकर मिलतें है सबसे,

औकात अपनी दिखाए चलें हैं,

अपना फायदा ही बस समझते,

मुखौटों का सौदा लगाए चलें हैं

 

कौन पूछे हमसे, हम कौन है अब,

आईनों से आँखें चुराए चलें हैं,

मुखौटे के अंदर एक और मुखौटा,

मुखौटों से पहचान बनाएं चलें हैं।।

 

अपर्णा 

स्वरचित एवं मौलिक

 

Photo by Helena Jankovičová Kováčová: https://www.pexels.com/photo/person-wearing-red-and-black-floral-headdress-5932620/

Comments (0)

Please login to share your comments.



मुखौटे

Avatar
aparna ghosh

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

मुखौटे

मुखौटों से चेहरे छुपाए चलें हैं,

खुद को कैसे भुलाए चलें हैं,

नहीं याद पड़ता किरदार क्या था,

मुखौटों से महफिल सजाए चलें हैं,

 

वफ़ा है इतनी मुखौटों से अब तो,

बेवफाई अपनी यूँ छुपाए चलें हैं,

मुश्तैद हैं, झट बदल लेते हैं खुद को,

पहचान खुद की झुठलाए चलें हैं

 

आंखों के आँसू अब दिखते नही है,

मुखौटे हर शाम गुदगुदाए चलें है,

सच की अब और दरकार क्या है,

मुखौटे नए किस्से सुनाए चलें हैं

 

अदब बदलकर मिलतें है सबसे,

औकात अपनी दिखाए चलें हैं,

अपना फायदा ही बस समझते,

मुखौटों का सौदा लगाए चलें हैं

 

कौन पूछे हमसे, हम कौन है अब,

आईनों से आँखें चुराए चलें हैं,

मुखौटे के अंदर एक और मुखौटा,

मुखौटों से पहचान बनाएं चलें हैं।।

 

अपर्णा 

स्वरचित एवं मौलिक

 

Photo by Helena Jankovičová Kováčová: https://www.pexels.com/photo/person-wearing-red-and-black-floral-headdress-5932620/

Comments (0)

Please login to share your comments.