रवि और कवि

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dineshkumar singh

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

रवि और कवि

मैं रवि हूँ, और कवि भी,

अंधेरो में उतरकर

रोशनी दे आता हूँ।

कविता के द्वारा

कभी कभी

रंग भी भर आता हूँ।

 

पर मैं अंतर्यामी नही हूँ।

और ना ही ईश्वर हूँ।

इसलिए, हर बार,

हर जगह,

नहीं पहुंच पाता हूँ।

और हर इक भावना को,

उनके रूप में

समझ पाता हूँ।

 

मैं इंसान हूँ।

कोशिश करता हूँ,

संघर्षों से कहाँ डरता हूँ।

पर कभी कभी,

मैं भी थकता हूँ।

और कभी

परिस्थितियों से

घबराता हूँ।

 

जब मेरा रवि भी

अंधेरे में डूब जाता है

और कोई रास्ता

नज़र नहीं आता है,

तब कविता की,

मद्धिम सही,

पर रोशनी से,

इस यात्रा को

आगे ले जाता हूँ।

 

 

रचयिता- दिनेश कुमार सिंह

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28 Jul 20241 min read

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रवि और कवि

मैं रवि हूँ, और कवि भी,

अंधेरो में उतरकर

रोशनी दे आता हूँ।

कविता के द्वारा

कभी कभी

रंग भी भर आता हूँ।

 

पर मैं अंतर्यामी नही हूँ।

और ना ही ईश्वर हूँ।

इसलिए, हर बार,

हर जगह,

नहीं पहुंच पाता हूँ।

और हर इक भावना को,

उनके रूप में

समझ पाता हूँ।

 

मैं इंसान हूँ।

कोशिश करता हूँ,

संघर्षों से कहाँ डरता हूँ।

पर कभी कभी,

मैं भी थकता हूँ।

और कभी

परिस्थितियों से

घबराता हूँ।

 

जब मेरा रवि भी

अंधेरे में डूब जाता है

और कोई रास्ता

नज़र नहीं आता है,

तब कविता की,

मद्धिम सही,

पर रोशनी से,

इस यात्रा को

आगे ले जाता हूँ।

 

 

रचयिता- दिनेश कुमार सिंह

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