
मन एक समंदर है
मन एक समंदर है
मन एक समंदर है,
जितना दिखता वो
बाहर से, उससे ज्यादा
गहरा, वो
अंदर है।
मन एक समंदर है ।।
संभलकर उतरो उसमें,
मोती ढूंढने
खुद को ही ना
खो देना।
दिखता शांत, पर एक
बवंडर है।
मन एक समंदर है ।।
सागर की लहरें गिरकर
मिट जाती है,
मन की लहरें पर
बेचैनी और बढ़ाती है।
अनसुलझा ये मंजर है।
मन एक समंदर है ।।
मन की ताकत को पर,
कम ना आंको तुम।
मन की ठान कर,
अपने भीतर झांको तुम।
रास्ते का हर चट्टान एक कंकड़ है,
और
यह मन तब सिकंदर है।
मन एक समंदर है ।।
रचयिता-
दिनेश कुमार सिंह
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