
उदास चाँद, खामोश रात और मैं…..

उदास चाँद, खामोश रात और मैं…..
उदास चाँद, खामोश रात और मैं
तुम्हारी याद ,तुम्हारी बात और मैं
खुलके हवा से बिखरी जुल्फें
जुल्फों सी सियाह रात और मैं
मद्धम मद्धम सी धड़कनें
करवटें बदलते जज्बात और मैं
जिक्र तेरा है आज बादलों में
यादों की बरसात और मैं
लोग कहते हैं जो
उस पर यकीं नहीं मुझको
जानते हैं कि प्यार बेशुमार है
बेशुमार प्यार और मैं
सुबह तक राह तकनी है
तुम्हारे इतंजार में
एक लफ्ज इतंजार और मैं
जा चुका है तू फिर भी जाने क्यों
आएगा इक दफा तो लौटकर
खुद पर ये एतबार और मैं।
उदास चाँद ,खामोश रात और मैं
तुम्हारी याद ,तुम्हारी बात और मैं।।
मीनू यतिन
Comments (0)
Please login to share your comments.