जरा सोचो

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meenu yatin

16 Aug 20241 min read

Published in poetry

सबका अपना एक मानक है
सबकी अपनी परिभाषा है
हर एक की परिभाषा में
ढल पाओगे क्या?

सबका एक नजरिया है
सबकी अपनी एक कसौटी है
हर कसौटी पर खरे
उतर पाओगे क्या?
खुद से पूछो सवाल ये
खुद को ही दो जवाब भी
जो अब भी समझ आया नहीं
औरों को समझाओगे क्या?

जो तुम हो न ,सबसे बेहतर हो
किसी सा क्योंही बनना है
खर्च करना संभल कर
ऊर्जा अपनी
लंबा है सफर और
आखिरी छोर तक पहुँचना है
अभी राह में मिलेगें
ऐसे राही कई
दूर बहुत दूर तलक चलना है
सबका ही सोचोगे
तो बढ़ पाओगे क्या?

खुद की कमियों को ही
गिनोगे तो
आगे निकल पाओगे क्या? 

 

मीनू यतिन

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meenu yatin

16 Aug 20241 min read

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सबका अपना एक मानक है
सबकी अपनी परिभाषा है
हर एक की परिभाषा में
ढल पाओगे क्या?

सबका एक नजरिया है
सबकी अपनी एक कसौटी है
हर कसौटी पर खरे
उतर पाओगे क्या?
खुद से पूछो सवाल ये
खुद को ही दो जवाब भी
जो अब भी समझ आया नहीं
औरों को समझाओगे क्या?

जो तुम हो न ,सबसे बेहतर हो
किसी सा क्योंही बनना है
खर्च करना संभल कर
ऊर्जा अपनी
लंबा है सफर और
आखिरी छोर तक पहुँचना है
अभी राह में मिलेगें
ऐसे राही कई
दूर बहुत दूर तलक चलना है
सबका ही सोचोगे
तो बढ़ पाओगे क्या?

खुद की कमियों को ही
गिनोगे तो
आगे निकल पाओगे क्या? 

 

मीनू यतिन

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