दोस्ती का धागा

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dineshkumar singh

21 Jul 20241 min read

Published in poetry

दोस्ती का धागा

दोस्ती का धागा दिखता नही,
पर होता जरूर होगा,
आखिर अनजान लोग
जुड़ कैसे जाते हैं?

दोस्ती का तार दिखता नहीं,
पर बिजली बहती जरूर होगी,
आखिर खुशियों के बल्ब
जल कैसे जाते हैं?

 दोस्ती कोई सितार नही,
पायल की झंकार नही,
पर दोस्ती में, सरगम के
हर सुर निकल आते हैं।

दोस्ती कोई इंद्रधनुष या
फूलों की बगिया नहीं,
पर जीवन के सब रंग
उभर आते हैं।

दोस्तो की दोस्ती में
हर बार, हर बात हो
यह जरूरी भी नहीं।
पर निःशब्द भी हर
भाव वो समझ जाते हैं। 

दिनेश कुमार सिंह

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दोस्ती का धागा

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dineshkumar singh

21 Jul 20241 min read

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दोस्ती का धागा

दोस्ती का धागा दिखता नही,
पर होता जरूर होगा,
आखिर अनजान लोग
जुड़ कैसे जाते हैं?

दोस्ती का तार दिखता नहीं,
पर बिजली बहती जरूर होगी,
आखिर खुशियों के बल्ब
जल कैसे जाते हैं?

 दोस्ती कोई सितार नही,
पायल की झंकार नही,
पर दोस्ती में, सरगम के
हर सुर निकल आते हैं।

दोस्ती कोई इंद्रधनुष या
फूलों की बगिया नहीं,
पर जीवन के सब रंग
उभर आते हैं।

दोस्तो की दोस्ती में
हर बार, हर बात हो
यह जरूरी भी नहीं।
पर निःशब्द भी हर
भाव वो समझ जाते हैं। 

दिनेश कुमार सिंह

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