जो बुरा न मानो

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meenu yatin

28 Jul 20241 min read

Published in poetry

जो बुरा न मानो

 

एक बात बताऊँ जो बुरा न मानो
चलो आईना दिखाऊँ जो बुरा न मानो

दूसरों पे हँसने वालों, खुद से भी मिलो कभी
तुम पे भी मुस्कुराऊँ जो बुरा न मानो

सबका किया दिया ही आता है लौटकर
हिसाब कुछ चुकाऊँ जो बुरा न मानो

कमियाँ सभी में होती हैं और अच्छाई भी
दो -चार मैं गिनाऊँ जो बुरा न मानो

प्यारे मीठे बोलों की कीमत  नहीं  जिन्हें
उनसे  उनसा ही पेश आऊँ जो बुरा न मानो

जो दुख दर्द न समझे किसी का वो इंसान ही क्या
पत्थर क्यों न मैं  बुलाऊँ जो बुरा न मानो । 

 

मीनू यतिन

 

Photo by Ismael Sanchez: https://www.pexels.com/photo/reflection-of-woman-s-eye-on-broken-mirror-2282000/

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28 Jul 20241 min read

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जो बुरा न मानो

 

एक बात बताऊँ जो बुरा न मानो
चलो आईना दिखाऊँ जो बुरा न मानो

दूसरों पे हँसने वालों, खुद से भी मिलो कभी
तुम पे भी मुस्कुराऊँ जो बुरा न मानो

सबका किया दिया ही आता है लौटकर
हिसाब कुछ चुकाऊँ जो बुरा न मानो

कमियाँ सभी में होती हैं और अच्छाई भी
दो -चार मैं गिनाऊँ जो बुरा न मानो

प्यारे मीठे बोलों की कीमत  नहीं  जिन्हें
उनसे  उनसा ही पेश आऊँ जो बुरा न मानो

जो दुख दर्द न समझे किसी का वो इंसान ही क्या
पत्थर क्यों न मैं  बुलाऊँ जो बुरा न मानो । 

 

मीनू यतिन

 

Photo by Ismael Sanchez: https://www.pexels.com/photo/reflection-of-woman-s-eye-on-broken-mirror-2282000/

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