
जो बुरा न मानो

जो बुरा न मानो
एक बात बताऊँ जो बुरा न मानो
चलो आईना दिखाऊँ जो बुरा न मानो
दूसरों पे हँसने वालों, खुद से भी मिलो कभी
तुम पे भी मुस्कुराऊँ जो बुरा न मानो
सबका किया दिया ही आता है लौटकर
हिसाब कुछ चुकाऊँ जो बुरा न मानो
कमियाँ सभी में होती हैं और अच्छाई भी
दो -चार मैं गिनाऊँ जो बुरा न मानो
प्यारे मीठे बोलों की कीमत नहीं जिन्हें
उनसे उनसा ही पेश आऊँ जो बुरा न मानो
जो दुख दर्द न समझे किसी का वो इंसान ही क्या
पत्थर क्यों न मैं बुलाऊँ जो बुरा न मानो ।
मीनू यतिन
Photo by Ismael Sanchez: https://www.pexels.com/photo/reflection-of-woman-s-eye-on-broken-mirror-2282000/
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