सब बदल गया

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meenu yatin

18 Aug 20241 min read

Published in poetry

सब बदल गया

बरसों बाद मैं आया हूँ तो पाया
के शहर बदल गया।
दिलो दिमाग में बसा हुआ
वो सारा मंजर बदल गया ।

ना पहले सी रंगत है इन
दीवारों में, रंगों में,
पैर धरे तो मैंने पाया
मेरा घर तो बदल गया ।

ढूँढती रही निगाहें चारों तरफ
कुछ वैसा तो बाकी ही नहीं
दिल की गलियाँ महकाता था
जो, वो सारा आलम किधर गया!

 

मीनू यतिन

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meenu yatin

18 Aug 20241 min read

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सब बदल गया

बरसों बाद मैं आया हूँ तो पाया
के शहर बदल गया।
दिलो दिमाग में बसा हुआ
वो सारा मंजर बदल गया ।

ना पहले सी रंगत है इन
दीवारों में, रंगों में,
पैर धरे तो मैंने पाया
मेरा घर तो बदल गया ।

ढूँढती रही निगाहें चारों तरफ
कुछ वैसा तो बाकी ही नहीं
दिल की गलियाँ महकाता था
जो, वो सारा आलम किधर गया!

 

मीनू यतिन

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