इश्क़

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aparna ghosh

30 Jul 20241 min read

Published in poetry

इश्क़

इश्क़ किस चिड़िया का नाम है?

वो जो रातों के सपने उड़ाती है, 

या वो जो सुबह जगाती है।

 

इश्क़ किस दरिया का नाम है?

वो जो प्यास बुझाती है ,

या जिसे पीने की प्यास तड़पाती है।

 

इश्क़ किस दर्द को कहतें हैं?

वो जो सब दर्द का फाया है ,

या वो जो ज़िन्दगी में समाया है।

 

इश्क़ किस तक़रीब को कहतें हैं?

वो जो लोगों को साक्षी रखता है,

या वो जो अंतस में घटता है।

 

नहीं मालूम ये बड़ी बातें,

हमारा इश्क़ तो यू ही पनपता है।

कभी चाय की चुस्कियों में सिमटता है, 

तो कभी मुंडेर पर चढ़ता है।

 

कभी हमसे नज़्म लिखाता है,

कभी बोलना भुलाता हैं।

कभी हमें बनाता है, 

कभी हमें मिटाता है।

इश्क़ ही कभी खुदाई दिलाता है,

और कभी जन्नत दिखाता हैं।

 

 

स्वरचित एवं मौलिक

©अपर्णा

 

 

Photo by Ary Shutter: https://www.pexels.com/photo/woman-hiding-her-half-face-805367/

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इश्क़

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30 Jul 20241 min read

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इश्क़

इश्क़ किस चिड़िया का नाम है?

वो जो रातों के सपने उड़ाती है, 

या वो जो सुबह जगाती है।

 

इश्क़ किस दरिया का नाम है?

वो जो प्यास बुझाती है ,

या जिसे पीने की प्यास तड़पाती है।

 

इश्क़ किस दर्द को कहतें हैं?

वो जो सब दर्द का फाया है ,

या वो जो ज़िन्दगी में समाया है।

 

इश्क़ किस तक़रीब को कहतें हैं?

वो जो लोगों को साक्षी रखता है,

या वो जो अंतस में घटता है।

 

नहीं मालूम ये बड़ी बातें,

हमारा इश्क़ तो यू ही पनपता है।

कभी चाय की चुस्कियों में सिमटता है, 

तो कभी मुंडेर पर चढ़ता है।

 

कभी हमसे नज़्म लिखाता है,

कभी बोलना भुलाता हैं।

कभी हमें बनाता है, 

कभी हमें मिटाता है।

इश्क़ ही कभी खुदाई दिलाता है,

और कभी जन्नत दिखाता हैं।

 

 

स्वरचित एवं मौलिक

©अपर्णा

 

 

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