मस्ती

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sweta gupta

30 Jul 20241 min read

Published in poetry

मस्ती

हैं मस्ती में रहना,

ये आज मुझे है कहना ।

 

मस्ती की बारिश में भीगते रहो,

हरदम यूं ही मुस्कुराते रहो।

 

ग़म, पास आने से कतराएंगे,

खुशियां बाहें फैलाएंगे।

 

जो बीत चुका, उसे हम क्यों सोचें,

जो आने वाला हैं, उससे हम क्यों डरे।

 

ना कर अपने मस्ती को कम,

इसी सोच ने की हैं जिंदगी कम।

 

यहां कोई नहीं है, ये सब हैं एक मेला,

तुम ख़ुद के हो, ये भी हैं एक खेला।

 

हैं आज मुझे ये कहना,

हर पल बस मस्ती में ही रहना।

 

 

रचयिता – स्वेता गुप्ता

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30 Jul 20241 min read

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मस्ती

हैं मस्ती में रहना,

ये आज मुझे है कहना ।

 

मस्ती की बारिश में भीगते रहो,

हरदम यूं ही मुस्कुराते रहो।

 

ग़म, पास आने से कतराएंगे,

खुशियां बाहें फैलाएंगे।

 

जो बीत चुका, उसे हम क्यों सोचें,

जो आने वाला हैं, उससे हम क्यों डरे।

 

ना कर अपने मस्ती को कम,

इसी सोच ने की हैं जिंदगी कम।

 

यहां कोई नहीं है, ये सब हैं एक मेला,

तुम ख़ुद के हो, ये भी हैं एक खेला।

 

हैं आज मुझे ये कहना,

हर पल बस मस्ती में ही रहना।

 

 

रचयिता – स्वेता गुप्ता

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