साथी

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meenu yatin

10 Aug 20245 min read

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साथी

“साहेब, आज मुझे थोड़ा जल्दी घर जाना है। कल मेरी बेटी की परीक्षा सुबह है। सेंटर थोड़ा दूर है।”
वकील साहब से उनके ड्राइवर दीना ने कहा।

“अरे हाँ- हाँ मैं तो भूल गया था ।” अपने पर्स से कुछ पैसे निकालते हुए वकील साहब ने कहा, “तुम्हारी बेटी बडी़ होनहार है , वो तुम्हारा नाम रोशन करेगी ।”

आज दीना की बेटी विधि की यूपीपीसीएस जे. की मेंस परीक्षा है। दीना के दो बेटियाँ हैं और उसने उन्हें हमेशा पढ़ाई के प्रति प्रेरित किया। बडी़ बेटी विधि ने स्नातक के बाद कानून की प़ढाई की इच्छा जाहिर की तो दीना को बहुत खुशी हुई। बचपन से ही न्यायालय ,और वकालत की बातें सुनसुन कर उसका मन अलग ही सपना बुन रहा था। अनपढ़ माँ और आठवीं पास पिता की सीमित आय और कम सुविधाओं के साथ ये सपना आसान नहीं था।

वहीं दूसरी ओर विधि अपनी किताबों के बीच घिरी हुई अपने नोट्स दोहरा रही थी। वो सारे पन्ने एक के बाद एक पलटती पढ़ती , जैसे मानो सब कुछ उसके दिमाग में रहे कुछ छूट न जाए। एकाएक उसकी निगाह सामने टंगी तसवीर पर जा टिकी। वो तसवीर विधि की थी सफेद फूलों के गुलदस्ते के साथ। वो मुसकुराए बिना न रह सकी। विचारों को झटकते हुए वापस से किताबों में उलझ गई। परीक्षा अच्छे से हुई तो विधि की उम्मीद भी बढ़ गई। परीक्षा देकर वो घर आई तो उसका फोन बज उठा। फोन पर आए नाम को देख विधि हलके से मुसकुरा दी।

उसने फोन उठाया, “हेलो”

दूसरी तरफ सिद्धांत था।

“हेलो, विधि , पेपर कैसा रहा? मुझे भरोसा है अच्छा हुआ होगा। है न!”

विधि मुस्कुरा दी,”हाँ अच्छा था बाकी रिजल्ट आने दो” और तुम्हारा?तुम्हारा कैसा रहा? “

“बढियाँ!” सिद्धांत ने कहा।

“विधि, मेरी बात याद है न!” सिद्धांत ने हिचकते हुए विधि से पूछा।

विधि ने बहाना बनाते कहा, “इस बारे में बाद में बात करते हैं ।अभी फोन रखती हूँ पापा बुला रहे हैं। इंटरव्यू के लिए गुड लक!” कहकर विधि ने फोन रख दिया।

सिद्धांत मुस्कुरा दिया और अपने कालेज के दिनों में खो गया। जहाँ उसकी दोस्ती विधि से हुई। सादगी से रहने वाली विधि को अपने आप पर बहुत भरोसा था, वो हर बात पर अपनी बात कहना जानती थी। उसकी यही बातें उसे औरों से अलग बनाती थीं। सिद्धांत उसे पसंद करता था। विधि के जन्मदिन पर सारे दोस्तों ने मिलकर सरप्राइज प्लान किया।सबने जन्मदिन की शुभकामनाए दीं, उपहार दिए।

सिद्धांत ने उसे सफेद फूलों का गुलदस्ता भेंट किया। और कहा, “मैने जैसे ही इन फूलों को देखा मुझे इनकी सादगी में तुम्हारी झलक दिखी। ढेर सारे रंगों के बीच ये सफेद फूल अपनी सौम्यता लिए मुस्कुरा रहे थे।”

“सादगी का अपना ही रंग होता है विधि, तुम्हारी सादगी और सरलता को मैं हमेशा अपने जीवन में देखना चाहता हूँ। मैं तुम्हें पसंद करता हूँ, विधि और तुम्हें अपने जीवनसाथी के रुप में देखना चाहता हूँ। क्या तुम मेरी साथी बनोगी?”

विधि सब कुछ सुनती रही और एक गहरी सांस लेकर बोली, “सिद्धांत, तुम बहुत अच्छे हो मैं तुम्हें पसंद करती हूँ, मगर, मेरे सपने कुछ और हैं, और मेरे परिवार के प्रति मेरा कुछ दायित्व है जो मुझे पूरा करना है ।”

“मुझे नहीं पता अभी कितना समय और चाहिए मुझे अपने और अपने परिवार के सपनों के लिए। मैं अभी कुछ और सोच ही नहीं सकती सिद्धांत, मैं तुम्हें झूठी आस नहीं दूगीं। बहुत कुछ है जो हमारे बीच असमान है।”

“मैं तुम पर कोई दबाव नहीं बना रहा विधि, तुम जितना समय चाहो, लो ,मगर इतना ही चाहता हूँ जब भी अपने सपनों और दायित्वों से अलग सोचो तो मेरा भी एक नाम याद रखना। मैं इतंजार करूंगा।”

सिद्धांत और विधि लाॅ कालेज में साथ थे। सिद्धांत के पिता एक सिविल जज थे। दोनों ने इंटरव्यू भी पास कर लिया। आज परीक्षा परिणाम आया, विधि ने सर्वाधिक अकं प्राप्त किए । उसके परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं था, फोन पर फोन बज रहे थे। बधाई पर बधाई मिल रही थी।

विधि को उसकी मेहनत का फल मिला वो बहुत खुश थी। मगर बार बार फोन देखती कि कहीं सिद्धांत का कोई मिस काल तो नहीं, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई,

विधि ने मुड़कर देखा तो सिद्धांत खडा़ मुस्कुरा रहा था। विधि खुश होकर उसकी ओर बढी़ कि तभी पीछे छुपाए सफेद फूलों के गुलदस्ते को देते हुए सिद्धांत ने कहा ,”मुझे अपनी पसंद पर गर्व है विधि।”

विधि ने मुसकुरा कर कहा “,तुमको भी बधाई सिद्धांत! तुम्हे भी अच्छी रैंक मिली है मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूँ। “

“मैनै सोचा भी नहीं था कि तुम आज आओगे।

“थैकं यू, सिद्धांत “

गुलदस्ते में से एक फूल निकाल कर सिद्धांत को देते हुए विधि ने कहा, “तुमने मेरे सपनों और जिम्मेदारी का सम्मान किया, मुझे समझा और प्रोत्साहित किया।बिना किसी वायदे के मेरा इतंजार किया । मुझे तुम्हारी बात याद है सिद्धांत । तुमको अपना जीवन साथी के रूप में पाकर मैं खुद को भाग्यशाली समझूगीं। क्या तुम हमेशा मुझ पर ऐसे ही भरोसा करोगे ? ऐसे ही मेरा साथ दोगे? सिद्धांत, क्या तुम मुझे अपना साथी बनाओगे?”

दोनों की आँखे खुशी से भीग गईं। 

सिद्धांत ने विधि को गले लगा लिया।

 

मीनू यतिन

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“साहेब, आज मुझे थोड़ा जल्दी घर जाना है। कल मेरी बेटी की परीक्षा सुबह है। सेंटर थोड़ा दूर है।”
वकील साहब से उनके ड्राइवर दीना ने कहा।

“अरे हाँ- हाँ मैं तो भूल गया था ।” अपने पर्स से कुछ पैसे निकालते हुए वकील साहब ने कहा, “तुम्हारी बेटी बडी़ होनहार है , वो तुम्हारा नाम रोशन करेगी ।”

आज दीना की बेटी विधि की यूपीपीसीएस जे. की मेंस परीक्षा है। दीना के दो बेटियाँ हैं और उसने उन्हें हमेशा पढ़ाई के प्रति प्रेरित किया। बडी़ बेटी विधि ने स्नातक के बाद कानून की प़ढाई की इच्छा जाहिर की तो दीना को बहुत खुशी हुई। बचपन से ही न्यायालय ,और वकालत की बातें सुनसुन कर उसका मन अलग ही सपना बुन रहा था। अनपढ़ माँ और आठवीं पास पिता की सीमित आय और कम सुविधाओं के साथ ये सपना आसान नहीं था।

वहीं दूसरी ओर विधि अपनी किताबों के बीच घिरी हुई अपने नोट्स दोहरा रही थी। वो सारे पन्ने एक के बाद एक पलटती पढ़ती , जैसे मानो सब कुछ उसके दिमाग में रहे कुछ छूट न जाए। एकाएक उसकी निगाह सामने टंगी तसवीर पर जा टिकी। वो तसवीर विधि की थी सफेद फूलों के गुलदस्ते के साथ। वो मुसकुराए बिना न रह सकी। विचारों को झटकते हुए वापस से किताबों में उलझ गई। परीक्षा अच्छे से हुई तो विधि की उम्मीद भी बढ़ गई। परीक्षा देकर वो घर आई तो उसका फोन बज उठा। फोन पर आए नाम को देख विधि हलके से मुसकुरा दी।

उसने फोन उठाया, “हेलो”

दूसरी तरफ सिद्धांत था।

“हेलो, विधि , पेपर कैसा रहा? मुझे भरोसा है अच्छा हुआ होगा। है न!”

विधि मुस्कुरा दी,”हाँ अच्छा था बाकी रिजल्ट आने दो” और तुम्हारा?तुम्हारा कैसा रहा? “

“बढियाँ!” सिद्धांत ने कहा।

“विधि, मेरी बात याद है न!” सिद्धांत ने हिचकते हुए विधि से पूछा।

विधि ने बहाना बनाते कहा, “इस बारे में बाद में बात करते हैं ।अभी फोन रखती हूँ पापा बुला रहे हैं। इंटरव्यू के लिए गुड लक!” कहकर विधि ने फोन रख दिया।

सिद्धांत मुस्कुरा दिया और अपने कालेज के दिनों में खो गया। जहाँ उसकी दोस्ती विधि से हुई। सादगी से रहने वाली विधि को अपने आप पर बहुत भरोसा था, वो हर बात पर अपनी बात कहना जानती थी। उसकी यही बातें उसे औरों से अलग बनाती थीं। सिद्धांत उसे पसंद करता था। विधि के जन्मदिन पर सारे दोस्तों ने मिलकर सरप्राइज प्लान किया।सबने जन्मदिन की शुभकामनाए दीं, उपहार दिए।

सिद्धांत ने उसे सफेद फूलों का गुलदस्ता भेंट किया। और कहा, “मैने जैसे ही इन फूलों को देखा मुझे इनकी सादगी में तुम्हारी झलक दिखी। ढेर सारे रंगों के बीच ये सफेद फूल अपनी सौम्यता लिए मुस्कुरा रहे थे।”

“सादगी का अपना ही रंग होता है विधि, तुम्हारी सादगी और सरलता को मैं हमेशा अपने जीवन में देखना चाहता हूँ। मैं तुम्हें पसंद करता हूँ, विधि और तुम्हें अपने जीवनसाथी के रुप में देखना चाहता हूँ। क्या तुम मेरी साथी बनोगी?”

विधि सब कुछ सुनती रही और एक गहरी सांस लेकर बोली, “सिद्धांत, तुम बहुत अच्छे हो मैं तुम्हें पसंद करती हूँ, मगर, मेरे सपने कुछ और हैं, और मेरे परिवार के प्रति मेरा कुछ दायित्व है जो मुझे पूरा करना है ।”

“मुझे नहीं पता अभी कितना समय और चाहिए मुझे अपने और अपने परिवार के सपनों के लिए। मैं अभी कुछ और सोच ही नहीं सकती सिद्धांत, मैं तुम्हें झूठी आस नहीं दूगीं। बहुत कुछ है जो हमारे बीच असमान है।”

“मैं तुम पर कोई दबाव नहीं बना रहा विधि, तुम जितना समय चाहो, लो ,मगर इतना ही चाहता हूँ जब भी अपने सपनों और दायित्वों से अलग सोचो तो मेरा भी एक नाम याद रखना। मैं इतंजार करूंगा।”

सिद्धांत और विधि लाॅ कालेज में साथ थे। सिद्धांत के पिता एक सिविल जज थे। दोनों ने इंटरव्यू भी पास कर लिया। आज परीक्षा परिणाम आया, विधि ने सर्वाधिक अकं प्राप्त किए । उसके परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं था, फोन पर फोन बज रहे थे। बधाई पर बधाई मिल रही थी।

विधि को उसकी मेहनत का फल मिला वो बहुत खुश थी। मगर बार बार फोन देखती कि कहीं सिद्धांत का कोई मिस काल तो नहीं, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई,

विधि ने मुड़कर देखा तो सिद्धांत खडा़ मुस्कुरा रहा था। विधि खुश होकर उसकी ओर बढी़ कि तभी पीछे छुपाए सफेद फूलों के गुलदस्ते को देते हुए सिद्धांत ने कहा ,”मुझे अपनी पसंद पर गर्व है विधि।”

विधि ने मुसकुरा कर कहा “,तुमको भी बधाई सिद्धांत! तुम्हे भी अच्छी रैंक मिली है मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूँ। “

“मैनै सोचा भी नहीं था कि तुम आज आओगे।

“थैकं यू, सिद्धांत “

गुलदस्ते में से एक फूल निकाल कर सिद्धांत को देते हुए विधि ने कहा, “तुमने मेरे सपनों और जिम्मेदारी का सम्मान किया, मुझे समझा और प्रोत्साहित किया।बिना किसी वायदे के मेरा इतंजार किया । मुझे तुम्हारी बात याद है सिद्धांत । तुमको अपना जीवन साथी के रूप में पाकर मैं खुद को भाग्यशाली समझूगीं। क्या तुम हमेशा मुझ पर ऐसे ही भरोसा करोगे ? ऐसे ही मेरा साथ दोगे? सिद्धांत, क्या तुम मुझे अपना साथी बनाओगे?”

दोनों की आँखे खुशी से भीग गईं। 

सिद्धांत ने विधि को गले लगा लिया।

 

मीनू यतिन

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