
मैं समय हूँ ।
मैं समय हूँ ।
मैं समय हूँ, मैं समय हूँ,
मै अंत हूँ, अनंत हूँ।
मैं कल भी, मैं आज भी,
मैं भूत भी, भविष्य भी,
मै फल भी और बीज भी।
मैं समय हूँ, मैं समय हूँ,
धरा के कण कण मैं बसा हुआ
प्रकाश मै
दूर अंतरिक्ष में फैला हुआ
अंधकार भी मै,
सूरज की रोशनी में मैं,
दीपक की ज्योति में मैं।
मैं समय हूँ, मैं समय हूँ,
मै जब चलता हूँ,
तो युग बदलते रहते हैं,
मेरे हर क्षण में,
कई कहानियां घटते रहते हैं।
मै ही विधाता हूँ,
मै ही बनाता, बसाता
मै ही उजाड़ता हूँ।
मैं समय हूँ, मैं समय हूँ ।
रचयिता-
दिनेश कुमार सिंह
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