नारी

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meenu yatin

1 Aug 20241 min read

Published in poetry

नारी

हर रिश्ते को निभाती है
माला के धागे सी वो
हर मोती को संभाले रखती है
हर फूल को बाँधे रखती है

पवित्रता को परखने वाली
ज़्वाला भी खुद ही बुझ जाती है
नारी जब सिया बन कर
धरती पर आती है

कोमल सा मन ,कोमल सा तन
बात अस्मिता पर आ जाए तो
वह अग्नि बन जाती है

एक जीवन को जीवन दे सकने का
उसको ही वरदान मिला
प्रेम को अमर कर दिया
तब राधा को श्याम मिला

भाव भरे हैं उसमें सारे
उसमें समाहित है शक्ति
अन्नपूर्णा, धारिणी, लक्ष्मी, सती
नारी ही है सरस्वती ।

मीनू यतिन

 

Photo by Subha Banik: https://www.pexels.com/photo/a-girl-wearing-a-red-sari-8157120/

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नारी

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meenu yatin

1 Aug 20241 min read

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नारी

हर रिश्ते को निभाती है
माला के धागे सी वो
हर मोती को संभाले रखती है
हर फूल को बाँधे रखती है

पवित्रता को परखने वाली
ज़्वाला भी खुद ही बुझ जाती है
नारी जब सिया बन कर
धरती पर आती है

कोमल सा मन ,कोमल सा तन
बात अस्मिता पर आ जाए तो
वह अग्नि बन जाती है

एक जीवन को जीवन दे सकने का
उसको ही वरदान मिला
प्रेम को अमर कर दिया
तब राधा को श्याम मिला

भाव भरे हैं उसमें सारे
उसमें समाहित है शक्ति
अन्नपूर्णा, धारिणी, लक्ष्मी, सती
नारी ही है सरस्वती ।

मीनू यतिन

 

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