नजर नहीं आते..!

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meenu yatin

1 Aug 20241 min read

Published in poetry

रिश्तों की अदालत में हमेशा
दूसरा अपराधी होता है
बड़े करीबी रिश्तों के
गुनाह नजर नहीं आते ।

अपना ही दिल जब
दुश्मनी पे उतर आए
फिर, बेगुनाही के
गवाह नजर नहीं आते ।

किस बात पर किसे
मिलेगी सजा कितनी
अपनी पे आए तो वो
सलाहकार नजर नहीं आते ।

बटँती हैं रियासतें पुश्तैनी, तो
कई हिस्सेदार दिख जाते हैं
माँ बाप की जिम्मेदारी के
दावेदार नजर नहीं आते ।

उंगलियां उठाते हैं जो
दूसरों की करनी पे
उनको कभी अपने
किरदार नजर नहीं आते ।

 

 

मीनू यतिन

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meenu yatin

1 Aug 20241 min read

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रिश्तों की अदालत में हमेशा
दूसरा अपराधी होता है
बड़े करीबी रिश्तों के
गुनाह नजर नहीं आते ।

अपना ही दिल जब
दुश्मनी पे उतर आए
फिर, बेगुनाही के
गवाह नजर नहीं आते ।

किस बात पर किसे
मिलेगी सजा कितनी
अपनी पे आए तो वो
सलाहकार नजर नहीं आते ।

बटँती हैं रियासतें पुश्तैनी, तो
कई हिस्सेदार दिख जाते हैं
माँ बाप की जिम्मेदारी के
दावेदार नजर नहीं आते ।

उंगलियां उठाते हैं जो
दूसरों की करनी पे
उनको कभी अपने
किरदार नजर नहीं आते ।

 

 

मीनू यतिन

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