
मैं वक़्त हूँ
मैं वक़्त हूँ
मेरी सीमाओँ में रहकर
क्या तुमने कुछ सीखा है?
मुझसे सीखकर,
क्या तुमने भाग्य अपना
लिखा है?
मेरे अच्छे या बुरे होने का,
इंतजार तुम छोड़ दो।।2।।
तुम जो हासिल कर पाओ
वह मेहनत तुम्हारी,
जो रह जाए,
वह तुम्हारी शिक्षा है।
मैं वक़्त हूँ,
तो मेरा आना और जाना
तय है।।2।।
जो तुमने जी लिया जीवन
इस बीच,
तो क्या बात है!!
और अगर सिर्फ कट गया
तो सब व्यर्थ है, फीका है।
मेरी सीमाओँ में रहकर
क्या तुमने कुछ सीखा है?
मुझसे सीखकर,
क्या तुमने भाग्य अपना
लिखा है?
रचयिता- दिनेश कुमार सिंह
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