
आवागमन है जिंदगी
आवागमन है जिंदगी
कितनी है फिकर तुझको
कितना तू परेशान हैं।
हर वक़्त चिंता में डूबा
कैसा यह इंसान हैं।
आवागमन है जिंदगी,
दो दिन के सभी
मेहमान है,
इक दिन सब सही सही,
एक दिन का तूफान है।
जो आया है वो बीत जाएगा
अच्छा हंसाएगा,
बुरा भी पर कट जाएगा।
रख भरोसा, सब्र कर,
फिर हर लम्हा आसान है।
दूसरों के लिये, जीते जी,
खुद के लिए भी जी ले,
क्या पता कब ये
प्राण पखेरू निकल ले।
आखिर अपने भी है
कुछ सपने, अपने भी
कुछ अरमान है।
हर एक की फिकर
करना, उनके लिए खुद को
खोना ही, तेरी नहीं
पहचान है।
आवागमन है जिंदगी,
दो दिन के सभी
मेहमान है।।
रचयिता- दिनेश कुमार सिंह
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