
यूँ ही कोई

यूँ ही कोई
अनछुए एहसास जगा गया कोई
आँखों में ख्वाब सजा गया कोई
अंजान थी मैं खुद से कभी
मुझसे मेरी पहचान करा गया कोई
आया यूँँ चुपचाप कि खबर न हुई
गया ऐसे कि,दुनिया चुरा गया कोई
अब शिकायत नहीं
नफरत नहीं उससे
हर रिश्ता मिटा गया कोई।
शुक्रगुजार हूँ उसकी
सही और गलत का
फर्क सिखा गया कोई।
मीनू यतिन
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