यूँ ही कोई

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meenu yatin

17 Aug 20241 min read

Published in poetry

यूँ ही कोई

अनछुए एहसास जगा गया कोई
आँखों में ख्वाब सजा गया कोई

अंजान थी मैं खुद से कभी
मुझसे मेरी पहचान करा गया कोई

आया यूँँ चुपचाप कि खबर न हुई
गया ऐसे कि,दुनिया चुरा गया कोई

अब शिकायत नहीं
नफरत नहीं उससे
हर रिश्ता मिटा गया कोई।

शुक्रगुजार हूँ उसकी
सही और गलत का
फर्क सिखा गया कोई।

 

मीनू यतिन

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meenu yatin

17 Aug 20241 min read

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यूँ ही कोई

अनछुए एहसास जगा गया कोई
आँखों में ख्वाब सजा गया कोई

अंजान थी मैं खुद से कभी
मुझसे मेरी पहचान करा गया कोई

आया यूँँ चुपचाप कि खबर न हुई
गया ऐसे कि,दुनिया चुरा गया कोई

अब शिकायत नहीं
नफरत नहीं उससे
हर रिश्ता मिटा गया कोई।

शुक्रगुजार हूँ उसकी
सही और गलत का
फर्क सिखा गया कोई।

 

मीनू यतिन

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