
वो किस्सा, माँ !
#mothersday2022
वो किस्सा, माँ !
हारे हुए थे हम, पर हमको लड़ना था
उनकी क्रोधाग्नि में हमें
खामोश जलना था।
हम लड़े माँ,
सही होकर भी
चुप रहे माँ।
याद है, जब मैं उसके पैरों पर
गिरा था?
जलते कोयले के अंगारो ने
मुझे छुआ था?
तू कितना छटपटाई थी माँ,
रात भर, आंसुओ से अपने,
मरहम लगाई थी माँ!
याद है, पर जब हमें
हमारी कोशिश का फल मिला,
जब दिन निकला,
तो लोग भी बदले, और
मौसम भी बदला?
तू कितना मुस्कराई थी माँ!।।2।।
याद करकर वो मुस्कुराहट,
मैं आज भी मुस्कराता हूँ माँ।
अब किसको बताऊं अपनी कहानी
खुद को ही सुनाता हूँ माँ।
रचयिता- दिनेश कुमार सिंह
Comments (0)
Please login to share your comments.