
मैं मुसाफिर हूँ, मुझे सफर में मजा आता है।

मैं मुसाफिर हूँ, मुझे सफर में मजा आता है।
इन खूबसूरत वादियों पर
नजरें ठहर जाती हैं
ये नीला आसमान
बा़हें खोल के बुलाता है ।
मंजिल पे पहुंच के तो
कदम रुक जाते हैं
मैं मुसाफिर हूँ,
मुझे सफर में मजा आता है ।
सफर में जुड़ती हैं
कुछ खट्टी मीठी यादें
सफर में है जिंदगी,
खुद जिंदगी भी है एक सफर
कट जाता है ,हंसते गाते
गर साथ हो प्यारा कोई हमसफर
हर राह ढूँढती हैं नजरें तुझे
जाना कहीं भी हो मुझे
क्यों हर रास्ता,
तेरी गली से गुजर कर आता है
मीलों का सफर बाकी है
मगर जाने क्यों
भटक कर मजा आता है
मैं मुसाफिर हूँ ,
मुझे सफर में मजा आता है ।
मीनू यतिन
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