
शिकायत जिदंगी से

शिकायत जिदंगी से
लगता है वो कुछ खफा जिदंगी से
रहने लगा है अब गमज़दा जिदंगी से
जो भी चाहा वो उसको मिला क्यों नहीं
जो था नागवार वो मिला जिदंगी से
तुम्हारी ही खातिर मैं मर मर के जिया हूँ
जो तुम ही न समझे मेरे मन को तो अब
रहा क्या बाकी कहना किसी से
डबडबाई आँखों ने पूछा ये सवाल
तड़प करके उसने कहा जिदंगी से
तुझे भी है देखा, ये दुनिया भी देखी
नही कोई हसरत किसी को आजमाऊं
नहीं मुझको कोई उम्मीद अब किसी से।।
मीनू यतिन
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